देश की खबरें | वन विभाग ने पौड़ी में आदमखोर तेंदुए को मारने के आदेश जारी किए
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तराखंड वन विभाग ने पौड़ी जिले में दो दिनों में दो बालकों को अपना शिकार बनाने वाले आदमखोर तेंदुए को मारने के आदेश सोमवार को जारी कर दिए।
देहरादून, पांच फरवरी उत्तराखंड वन विभाग ने पौड़ी जिले में दो दिनों में दो बालकों को अपना शिकार बनाने वाले आदमखोर तेंदुए को मारने के आदेश सोमवार को जारी कर दिए।
प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डॉ. समीर सिन्हा द्वारा इस संबंध में जारी आदेश में कहा गया है कि तेंदुए से मानव जीवन खासकर बच्चों के लिए खतरे को देखते हुए अंतिम विकल्प के रूप में उसे मारने की अनुमति दी जाती है ।
हालांकि, पौड़ी के गढ़वाल वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी स्वप्निल अनिरुद्ध को जारी इस आदेश में पहले तेंदुए को पिंजरे में कैद करने या ट्रैंकुलाइज (बेहोश) करने के पूरे प्रयास करने के लिए कहा गया है।
इससे पहले, तेंदुए द्वारा पिछले दो दिनों में दो बालकों को अपना निवाला बनाए जाने तथा क्षेत्र में लगातार उसकी गतिविधियों के चलते मानव जीवन के लिए उत्पन्न खतरे की संभावना को देखते हुए अनिरुद्ध ने उसे मारने की अनुमति मांगी थी।
पौड़ी के खिर्सू क्षेत्र के ग्वाड़ गांव में शनिवार की देर शाम घर में गौशाला के सामने खेल रहे अंकित सिंह (11) पर तेंदुए ने हमला कर दिया था जिससे उसकी मृत्यु हो गयी थी। रविवार रात एक अन्य घटना में श्रीनगर में चार वर्षीय अयान अंसारी को तेंदुआ घर के आंगन से उठा ले गया और लोगों के शोरगुल करने के बावजूद काफी देर तक उसे नहीं छोड़ा। इस घटना में भी बालक की मृत्यु हो गयी।
इन घटनाओं के बाद क्षेत्र में तैनात वन विभाग के गश्ती दल को रविवार मध्यरात्रि के बाद करीब दो बजे तेंदुआ घटनास्थल पर दिखाई दिया था। उसके गुर्राने की आवाज भी लगातार क्षेत्र में सुनाई दे रही है।
वन अधिकारियों का मानना है कि दोनों घटनास्थलों के बीच की दूरी तथा हमला करने के समान तरीके से इस बात की प्रबल संभावना है कि दोनों घटनाओं में कोई एक ही तेंदुआ शामिल है।
हाल में तेंदुओं के घनी आबादी वाले क्षेत्र में घुसने और हमले करने की कई घटनाएं सामने आयी हैं । पिछले दिनों देहरादून में भी तेंदुए द्वारा दो बच्चों को घरों से उठा ले जाने की घटनाएं सामने आयी थीं जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को वन अधिकारियों को कड़ी निगरानी रखने तथा ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के निर्देश देने पड़े थे।
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