लाहौर, 10 जून पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदी समुदाय से संबंध रखने वाले 40 सदस्यों के खिलाफ अपने समुदाय की एक महिला के अंतिम संस्कार को लेकर इस्लामियों के समूह के साथ हुई कहासुनी को लेकर आतंकवाद के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
घटना छह जून को लाहौर से लगभग 50 किलोमीटर दूर शेखपुरा जिले के सफदराबाद के मौजा फैवलई में हुई जबकि इस्लामियों के एक समूह ने अहमदी समुदाय को मृतक का अंतिम संस्कार 'गैर-मुस्लिम' कब्रिस्तान में करने को मजबूर किया।
इलाके में अब भी तनाव है और अधिकतर स्थानीय अहमदी इस्लामियों के हमले के डर से अपने घरों को छोड़कर चले गए हैं।
अहमदी समुदाय के अनुसार, स्थानीय मौलवियों ने सफदराबाद में मस्जिदों में घोषणाएं कीं, जिसमें लोगों को मुस्लिम कब्रिस्तान में अहमदी महिला को दफनाने की अनुमति नहीं देने के लिए उकसाया गया।
समुदाय के अनुसार, ''धार्मिक समूह के लोगों ने अंतिम संस्कार को रोकने की कोशिश की, लेकिन महिला को दफना दिया गया। समूह के सदस्यों ने अपने कब्रिस्तान से शव को हटाने पर जोर दिया, जिसके कारण अहमदियों और एक धार्मिक समूह के सदस्यों के बीच हाथापाई हुई।''
पुलिस ने महिला के अंतिम संस्कार को लेकर हुए झगड़े के संबंध में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कीं। इनमें से एक प्राथमिकी अहमदी समुदाय के खिलाफ और दूसरी धार्मिक समूह के 20 सदस्यों के विरुद्ध दर्ज की गई।
अहमदी समुदाय के 40 सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता और आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई जबकि इस्लामी समूह के लगभग 30 सदस्यों के खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता की विभिन्न धाराोओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पाकिस्तान की संसद ने 1974 में अहमदी समुदाय को गैर मुस्लिम घोषित कर दिया था। एक दशक बाद, उन्हें खुद को मुस्लिम कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उनके उपदेश देने और यहां तक कि तीर्थयात्रा के लिए सऊदी अरब की यात्रा करने पर भी प्रतिबंध है। पाकिस्तान की 22 करोड़ की आबादी में करीब एक करोड़ गैर-मुस्लिम हैं।
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