जरुरी जानकारी | जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिम, हरित प्रौद्योगिकी पर चर्चा की

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गांधीनगर, 17 जुलाई जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों ने सोमवार को वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं उसके जोखिमों के साथ हरित एवं निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के नीतिगत उपायों पर चर्चा की।

वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि जी20 देशों के वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के सम्मेलन के पहले दिन वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण, आर्थिक जोखिम और पुनरुद्धार का समर्थन करने के लिए प्रमुख नीतिगत कदमों से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने पिछले हफ्ते मध्यम अवधि में वैश्विक विकास के लिए करीब तीन प्रतिशत का अनुमान जताते हुए कहा था कि यह 2000-19 के दौरान 3.8 प्रतिशत के ऐतिहासिक औसत से काफी नीचे है।

जॉर्जीवा ने वैश्विक स्तर पर विभिन्न आर्थिक समस्याओं से वृद्धि के कमजोर पड़ने की भी आशंका जताते हुए कहा था कि सरकारी ऋण संकट से लेकर जलवायु परिवर्तन के खतरे जैसी गंभीर वैश्विक चुनौतियों से निपटना भी मुश्किल हो जाएगा।

दिन के दूसरे सत्र में हरित और निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए स्थायी वित्त, बुनियादी ढांचे और नीतिगत उपायों पर चर्चा की गई।

वित्त मंत्रालय ने ट्वीट में कहा कि दुनिया के 20 विकसित एवं विकासशील देशों के मंत्रियों ने जलवायु वित्त के लिए समय पर पर्याप्त संसाधन जुटाने और टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) के अनुरूप वित्तपोषण ढांचे से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की।

जी-20 के टिकाऊ वित्त पर गठित कार्य समूह ने पिछले महीने जलवायु परिवर्तन का असर कम करने के लिए हरित कार्बन प्रौद्योगिकियों में निवेश के लिए निजी पूंजी का प्रवाह सुविधाजनक बनाने की वकालत की थी। इसने नए स्टार्टअप के लिए नई प्रौद्योगिकी के साथ एक कारगर ढांचा बनाने की जरूरत भी बताई थी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अपने दीर्घकालिक औसत से नीचे और असमान होने का जिक्र करते हुए कहा कि खाद्य, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत है।

सीतारमण ने कहा, "हमें इस चुनौतीपूर्ण दौर से निकलने के लिए समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत है। इस संदर्भ में जी20 कार्य समूह ने खाद्य एवं ऊर्जा असुरक्षा के अलावा जलवायु परिवर्तन और बदलाव के मार्गों से जुड़ी व्यापक आर्थिक चुनौतियों से निपटने पर गौर किया।"

उन्होंने कहा, "इन मुद्दों से जो नीतिगत सबक सामने आए हैं, वे स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित करते हैं।"

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