देश की खबरें | विशेषज्ञ समिति ने ‘कोवोवैक्स’ के दूसरे-तीसरे चरण के परीक्षणों के लिए मंजूरी देने की सिफारिश की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को दो से 17 साल के बच्चों पर ‘कोवोवैक्स’ टीके के दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के लिए कुछ शर्तों के साथ अनुमति देने की मंगलवार को सिफारिश की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, 27 जुलाई भारत के केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की एक विशेषज्ञ समिति ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को दो से 17 साल के बच्चों पर ‘कोवोवैक्स’ टीके के दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के लिए कुछ शर्तों के साथ अनुमति देने की मंगलवार को सिफारिश की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
परीक्षण में 10 साइटों पर 920 बच्चे, 12-17 और 2-11 आयु वर्ग के प्रत्येक में 460 बच्चों को शामिल किया जाएगा।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने मंगलवार को एसआईआई द्वारा दिए गए संशोधित अध्ययन प्रोटोकॉल आवेदन पर विचार किया और दो से 17 साल के बच्चों पर कोवोवैक्स के दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण के लिए फर्म को अनुमति देने की सिफारिश की।’’
पुणे की दवा कंपनी ने टीके की सुरक्षा और प्रतिरक्षण क्षमता का निर्धारण करने के लिए 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के भारतीय वयस्कों में चल रहे कोवोवैक्स चरण 2 और 3 नियंत्रित अध्ययन में बाल चिकित्सा दल को शामिल करने के लिए एक संशोधित प्रोटोकॉल प्रस्तुत किया था।
पिछले सप्ताह प्रस्तुत संशोधित आवेदन में, एसआईआई के निदेशक (सरकारी और नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह और निदेशक डॉ प्रसाद कुलकर्णी ने कहा था कि विश्व स्तर पर, 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वयस्कों का टीकाकरण किया जा रहा है और इसके बाद लोगों को कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षित किया जाएगा और बच्चे अतिसंवेदनशील समूह में बने रहेंगे।
उन्होंने पत्र में कहा, ‘‘संवेदनशील बच्चों में मौतों सहित गंभीर बीमारी की खबरें आई हैं। यह भी आशंका व्यक्त की गई है कि देश में महामारी की तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित कर सकती है।’’ इसमें कहा गया है, ‘‘इसके अलावा, जब तक बच्चों सहित सभी आयु समूहों को टीकाकरण के तहत कवर नहीं किया जाता है, सार्स-सीओवी-2 वायरस प्रचलन में बना रह सकता है, जिससे सभी को गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है।’’
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