केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी ने दृष्टि वापस पाने का श्रेय आयुर्वेद को दिया: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में मंच से जब केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी रोजमेरी ओडिंगा का नाम पुकारा, तो लोगों का ध्यान उन पर टिक गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि रोजमेरी की कहानी इस तथ्य का प्रमाण है कि आयुष इलाज वैश्विक है, क्योंकि रोजमेरी ने कुछ साल पहले अपनी आंख की रोशनी वापस पाने का श्रेय आयुर्वेद को दिया.
गांधीनगर, 21 अप्रैल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गांधीनगर में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में मंच से जब केन्या के पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी रोजमेरी ओडिंगा का नाम पुकारा, तो लोगों का ध्यान उन पर टिक गया. प्रधानमंत्री ने कहा कि रोजमेरी की कहानी इस तथ्य का प्रमाण है कि आयुष इलाज वैश्विक है, क्योंकि रोजमेरी ने कुछ साल पहले अपनी आंख की रोशनी वापस पाने का श्रेय आयुर्वेद को दिया. रोजमेरी ‘वैश्विक आयुष निवेश एवं नवोन्मेष शिखर सम्मेलन’ में भाग लेने के लिए गांधीनगर आई थीं. केरल स्थित एक अस्पताल में आयुर्वेदिक इलाज से रोजमरी को अपनी आंख की रोशनी वापस पाने में मदद मिली. ब्रेन एनोरिज्म नामक बीमारी (रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जातीं) और एट्रोफी (दृश्य तंत्रिका से जुड़ी मांसपेसियों का सिकुड़ना) जैसी बीमारी के कारण रोजमेरी की आंख की रोशनी चली गई थी.
पूर्व प्रधानमंत्री रेला ओडिंगा की बेटी रोजमेरी ने कहा, ‘‘ मेरा अनुमान है कि यह इस बात का प्रमाण है कि आयुष ने भारत से बाहर के अन्य लोगों की भी मदद की है. आयुष चिकित्सा वैश्विक है. मैं इस कहानी का हिस्सा बनकर गौरवान्वित हूं.’’
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान रोजमेरी ओडिंगा की कहानी का उल्लेख किया और कहा कि उनके पिता, भारतीय प्रधानमंत्री के मित्र, ने एक बार नई दिल्ली में उनसे मिलने के दौरान अपनी बेटी के बारे में बताया था. मोदी ने कहा कि उनके पिता ने बताया कि कैसे कोई भी चिकित्सा उपचार दृष्टि वापस पाने में मदद नहीं कर रहा था. मोदी ने कहा, ‘‘कई बड़े देशों में उनका इलाज किया गया, लेकिन आंखों की रोशनी वापस नहीं आई. आखिरकार भारत में सफलता मिली, वह भी आयुर्वेदिक उपचार से. रोजमेरी की आंखों की रोशनी लौट आई और वह अब देख सकती हैं.’’ मोदी ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें बताया कि जब रोजमेरी ने इलाज के बाद पहली बार अपने बच्चों को देखा, तो यह उसके जीवन का एक सुनहरा क्षण था.’’
रोजमारी खुद का परिचय एक किसान के रूप में देना पसंद करती हैं, जो केन्या स्थित अपने खेतों में घोंघा और अन्य जीवों का पालन करती हैं. उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में उनकी दृष्टि कमजोर हो गई. इलाज के लिए वह जर्मनी, जापान और दक्षिण अफ्रीका गईं. इसके अलावा वह दो बार चीन गईं, जहां उन्होंने एक्यूपंक्चर विधि से उपचार प्राप्त किया. लेकिन ज्यादा सफलता न मिलने के बाद रोजमेरी ओडिंगा आखिरकार भारत आईं. रोजमेरी ने लगभग दो साल पहले केरल के एर्नाकुलम स्थित श्रीधरीयम आयुर्वेदिक नेत्र अस्पताल और अनुसंधान केंद्र में इलाज कराया. इस दौरान उनका इलाज तीन-तीन सप्ताह के दो सत्रों में किया गया है, जो अब भी जारी है. यह भी पढ़ें :
रोजमेरी का इलाज करने वाले अस्पताल के मुख्य चिकित्सक डॉ. नारायणन नंबूथिरी ने सम्मेलन में कहा, ‘‘जब वह दो साल पहले हमारे पास आई थीं, तो करीब-करीब पूरी तरह दृष्टिहीन थीं. खुद रोजमेरी कहती हैं कि वह इलाज कराते समय अपने चिकित्सक को देख नहीं सकती थीं, केवल उनकी अवाज सुन सकती थीं, लेकिन अब वह सब कुछ देख सकती हैं. चिकित्सक ने कहा कि उपचार के दौरान उन्हें कुछ मौखिक दवा देने के साथ-साथ तंत्रिका तंत्र के कायाकल्प से संबंधित चिकित्सा उपलब्ध कराई गई जैसे कि ‘तैला धारा’ (आंखों और सिर के आसपास विशिष्ट मालिश). इसके अलावा उन्हें कुछ नाक की दवा दी गई. आयुष का आशय आयुर्वेद, योग, नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी से है. भारत में चिकित्सा की इन वैकल्पिक विधियों के लिए एक केंद्रीय मंत्रालय है.