देश की खबरें | संभल में 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक, सपा ने नेताओं को रोकने की निंदा की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. जिले में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।
संभल (उप्र), 30 नवंबर जिले में 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने 10 दिसंबर तक बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी है।
जिला प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा की अवधि भी एक दिसंबर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दी है।
उधर, समाजवादी पार्टी (सपा) ने उसके नेताओं को संभल जाने से रोकने की निंदा की है और मृतकों के परिजनों को पार्टी की तरफ से पांच-पांच लाख रुपये देने का ऐलान किया है तथा सरकार से उन्हें 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की है।
सपा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ''संभल में हुई हिंसा में भाजपा सरकार और प्रशासन की नाकामी से अपनी जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को समाजवादी पार्टी पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। उप्र सरकार मृतकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा दे।''
यहां जारी एक बयान में जिलाधिकारी राजेंद्र पेसीया ने कहा कि कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जनपद की सीमा में बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के 10 दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा, “कोई भी व्यक्ति यदि सोशल मीडिया पर किसी समूह में अफवाह फैलाने का प्रयास करता है तो ‘ग्रुप एडमिन’ उक्त पोस्ट हटाकर तत्काल इसकी सूचना पुलिस को देगा। जिले में साइबर कैफे एक रजिस्टर रखेंगे जिसमें प्रत्येक ग्राहक के नाम लिखे जाएंगे। संभल में कोई भी सार्वजनिक स्थल पर पुतला नहीं फूंकेगा।”
यह कदम इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि समाजवादी पार्टी (सपा) का एक प्रतिनिधिमंडल हिंसा के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए शनिवार को संभल का दौरा करने वाला था।
मुजफ्फरनगर से सपा सांसद हरेन्द्र मलिक को गाजियाबाद से संभल आने से रोक दिया गया।
मलिक ने कहा, “मेरे समझ में यह नहीं आता कि हमें क्यों रोका जा रहा है। क्या विपक्ष के नेता, सांसद इतने गैर जिम्मेदार हैं कि उन्हें राज्य के भीतर घूमने नहीं दिया जा सकता।
वहीं, मुरादाबाद से सपा सांसद रुचि वीरा के आवास को पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा है जिससे उन्हें संभल जाने से रोका जा सके।
मलिक ने कहा, “हमारे प्रतिनिधिमंडल में संभल से सपा सांसद जिया-उर-हमान बर्क और कैराना से लोकसभा सदस्य इकरा हसन भी शामिल हैं। हम क्या कर सकते हैं। यह सरकार एक निरंकुश शासक की तरह काम कर रही है।”
कोई भी संभल की तरफ ना जा सके, यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा निगरानी बढ़ाए जाने से गाजियाबाद सीमा पर भारी जाम लग गया। हरेंद्र मलिक को गाजियाबाद में डिवाइडर पर बैठे देखा गया।
मलिक ने कहा, “मैं इस हिंसा से प्रभावित लोगों को सांत्वना देने के लिए संभल जाना चाहूंगा। लेकिन यह सरकार सभी चीजों पर अंकुश लगा रही है।”
कैराना से सांसद इकरा हसन ने हापुड़ में संवाददाताओं से कहा, “संभल में हिंसा से प्रभावित लोग, हमारे अपने लोग हैं और हम उनके साथ रहना चाहते हैं। हम इस मुद्दे को लोकसभा में भी उठाएंगे। सरकार जब भी अनुमति देगी, हम निश्चित रूप से वहां जाएंगे।”
इस बीच, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर कहा, “प्रतिबंध लगाना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।”
अखिलेश ने अपनी पोस्ट में कहा कि भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देती है, वैसे ही उसे संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक के पूरे प्रशासनिक अमले को निलंबित कर देना चाहिए तथा उन पर ‘साजिशन लापरवाही’ का आरोप लगाते हुए सच्ची कार्रवाई करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए।
समाजवादी पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा, “संभल में हुई हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर बनाए गए सपा प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के घरों पर सरकार द्वारा पुलिस लगाकर उन्हें संभल जाने से रोकने की घटना, घोर निंदनीय एवं अलोकतांत्रिक है। भाजपा सरकार संभल हिंसा का सच छिपा रही है। सपा प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने की अनुमति मिले।”
इस बीच, माता प्रसाद पांडेयय ने लखनऊ में अपने आवास के बाहर संवाददाताओं को बताया, “ गृह सचिव ने मुझे फोन कर संभल नहीं जाने का अनुरोध किया था। संभल के जिलाधिकारी ने भी मुझे फोन कर बताया कि जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक 10 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दी गई है। इसलिए मैं अब पार्टी कार्यालय जाऊंगा और इस मुद्दे पर चर्चा करूंगा।”
पांडेयय ने कहा, “यह सरकार संभल में शायद अपनी गलतियों को छिपाने के लिए मुझे रोकना चाहती है क्योंकि हमारे दौरे से कई गलतियां सामने आ जाएंगी।”
शुक्रवार रात से ही पांडेयय के आवास के बाहर भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात हैं। पांडेयय ने यह भी कहा, "हमें लखनऊ में हमारे आवास पर ही रोकने वाले आदेश पूरी तरह अनुचित है। अगर हम संभल पहुंच जाते या सीमा पर रोक दिए जाते, तो यह समझ में आता।"
उन्होंने बताया, "जिलाधिकारी ने कहा कि हमें संभल में प्रवेश नहीं करना चाहिए और अब वे कह रहे हैं कि हम लखनऊ से बाहर भी नहीं जा सकते। इससे साफ पता चलता है कि राज्य में पुलिस का राज है, न कि कानून या अधिकारियों का शासन। पुलिस द्वारा हमें इस तरह से रोकना यह साबित करता है कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज नहीं, बल्कि पुलिस का राज है।"
पांडेय ने कहा कि संभल की स्थिति की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
इस सवाल पर कि क्या पार्टी गुप्त रूप से प्रतिनिधिमंडल भेजेगी, पांडेय ने कहा, "अगर हम गुप्त रूप से जाने का इरादा रखते तो हम पहले ही वहां पहुंच चुके होते।"
समाजवादी पार्टी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के घरों पर सरकार द्वारा पुलिस तैनात करने और उन्हें संभल जाने से रोकने को निंदनीय करार दिया है।
सपा ने ‘एक्स’ पर अपने श्रृंखलाबद्ध पोस्ट में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार पर संविधान और लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया।
लखनऊ मध्य से सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि भाजपा सरकार ने अघोषित आपातकाल लागू कर दिया है।
इस बीच, प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वर्तमान में संभल में स्थिति शांतिपूर्ण है और पुलिस एवं प्रशासन चौकसी बरत रहा है।
मौर्य ने शनिवार को ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, “यह विवाद हिंदू-मुस्लिम दंगा नहीं था, बल्कि स्थानीय सपा सांसद और विधायक के बीच अधिकारों की लड़ाई थी जिसमें समाजवादी पार्टी ने संभल को सांप्रदायिक अशांति में झोंकने का प्रयास किया।”
उन्होंने कहा कि यह प्रयास इसलिए किया गया क्योंकि समाजवादी पार्टी को बीते उप चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा और उनका ‘मुस्लिम वोटबैंक’ तक खिसक गया।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव द्वारा भेजे जा रहे प्रतिनिधिमंडल की मुस्लिमों से कोई सहानुभूति नहीं है, बल्कि खिसके वोट बैंक को वापस हासिल करने का एक विफल प्रयास है।”
मौर्य ने कहा कि जब प्रशासन शांति बहाली के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है और सरकार ने इस मामले में पहले ही न्यायिक जांच बिठा दी है ऐसे में इस तरह के प्रयास निरर्थक हैं और यह प्रदर्शित करते हैं कि समाजवादी पार्टी खुद को ‘समाप्तवादी पार्टी’ में तब्दील कर रही है।
उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने शनिवार को कहा, “संभल की हिंसा, स्थानीय सांसद और विधायक के बीच टकराव का परिणाम है और खुद को बचाने के लिए सपा नेता लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रहे हैं।”
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा, “संभल में स्थिति संवेदनशील है और निषेधाज्ञा लागू है। ऐसे में माता प्रसाद पांडेयय और सपा को अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए और स्थिति सामान्य होने का इंतजार करना चाहिए। सपा का इरादा संदेहपूर्ण है क्योंकि इनके प्रतिनिधिमंडल में स्थानीय सांसद जिया-उर-हमान बर्क शामिल हैं जिन पर संभल में हिंसा भड़काने का आरोप है। वहां जाकर वह क्या बयान देंगे? ”
सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने शुक्रवार को कहा था कि पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर विधानसभा में विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेयय की नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को संभल जाएगा और वहां हुई हिंसा की विस्तृत जानकारी लेकर रिपोर्ट पार्टी प्रमुख को सौंपेगा।
वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने ‘पीटीआई-’ को बताया कि दो दिसंबर को संभल मामले की जानकारी हासिल करने के लिए कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल वहां जाएगा।
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