अर्थशास्त्रियों ने कहा, रिवर्स रेपो दर में कटौती अच्छा कदम, बैंक जोखिम उठाने में सक्षम हों
रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंक अधिशेष कोष को निवेश करने और अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को ऋण देने को प्रोत्साहित होंगे।
मुंबई, 17 अप्रैल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रिवर्स रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती को अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने एक अच्छा कदम बताया है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि बैकों को अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को बढ़ाना चाहिए। केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो दर को 3.75 प्रतिशत कर दिया है।
रिजर्व बैंक के इस कदम से बैंक अधिशेष कोष को निवेश करने और अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों को ऋण देने को प्रोत्साहित होंगे।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि रिवर्स रेपो दर में कटौती एक उल्लेखनीय कदम है, लेकिन यह देखने की जरूरत है कि क्या इससे निजी क्षेत्र को ऋण का प्रवाह बढ़ पाता है।
डीबीएस बैंक इंडिया की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि रिवर्स रेपो दर में कटौती इसलिए की गई है, जिससे बैंक अपना कोष केंद्रीय बैंक के पास रखने के बजाय ऋण देने में लगाएं। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि इसमें और कटौती होती है तो बैंक रिवर्स रेपो सुविधा का इस्तेमाल करने से हिचकिचाएंगे।
एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि रिजर्व बैंक ने तीन माह तक किस्त के भुगतान की मोहलत वाले ऋण खातों को एनपीए की 90 दिन की शर्त से छूट देकर बैंकों और ग्राहकों- दोनों को राहत दी है।
उन्होंने कहा कि कार्यशील पूंजी की चुनौतियों को देखते हुए अब रिजर्व बैंक को 90 दिन के नियम पर नए सिरे से विचार करना चाहिए। घोष ने कहा कि जब किसी खाते को एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया जाता है तो कर्ज लेने वाला किसी अन्य बैंक से ऋण नहीं ले सकता।
केपीएमजी इंडिया के भागीदार एवं प्रमुख (सीएफओ परामर्श) साई वेंकटेश्वरन ने कहा कि 50,000 करोड़ रुपये के टीएलटीआरओ 2.0 से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की पूंजी की जरूरत पूरी हो सकेगी।
अजय
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