देश की खबरें | समान नागरिक संहिता का मसौदा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी को सौंपा गया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित समिति ने शुक्रवार को यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदे के दस्तावेज सौंप दिए।

देहरादून, दो फरवरी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित समिति ने शुक्रवार को यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदे के दस्तावेज सौंप दिए।

यहां आयोजित एक कार्यक्रम में पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष और उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा । इस दौरान समिति के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे ।

यूसीसी राज्य में सभी नागरिकों को उनके धर्म से परे एकसमान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।

अगर यह लागू होता है तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है ।

यूसीसी पर एक विधेयक पारित कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है । विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले मसौदे पर राज्य मंत्रिमंडल में भी चर्चा की जाएगी ।

यूसीसी पर विधेयक लाना 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था । वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर भाजपा ने एक इतिहास रचा था और मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके द्वारा व्यक्त किए गए इस संकल्प को जनता ने अपना आशीर्वाद दिया है ।

मार्च 2022 में सरकार गठन के तत्काल बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी गयी थी, बाद में उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी गयी ।

इस समिति में न्यायाधीश देसाई (सेवानिवृत्त)के अलावा न्यायाधीश प्रमोद कोहली (सेवानिवृत्त), सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी शामिल हैं । इस समिति को कुल चार विस्तार भी दिए गए।

समिति को अपने करीब दो साल के कार्यकाल में 2.33 लाख लिखित सुझाव मिले तथा उसकी 60 बैठकों में सदस्यों ने करीब साठ हजार लोगों से बातचीत की ।

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