डिजिटल ऋण के नियम नियामक मध्यस्थता खत्म करने, उपभोक्ता संरक्षण के लिए बनाए गए हैं: आरबीआई
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने बृहस्पतिवार को कहा कि हाल में जारी किए गए डिजिटल ऋण के नियम नियामक मध्यस्थता को खत्म करने और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए तैयार किए गए हैं.
मुंबई, 8 सितंबर : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने बृहस्पतिवार को कहा कि हाल में जारी किए गए डिजिटल ऋण के नियम नियामक मध्यस्थता को खत्म करने और ग्राहकों की सुरक्षा के लिए तैयार किए गए हैं. राव ने उद्योग निकाय एसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हाल में तीसरे पक्ष की बेलगाम भागीदारी, भ्रामक बिक्री, डेटा गोपनीयता का उल्लंघन, अनैतिक वसूली प्रथाओं और अत्यधिक ब्याज दरों के कारण आरबीआई ने डिजिटल कर्ज को विनियमित किया.
केंद्रीय बैंक ने व्यापक परामर्श के बाद 10 अगस्त को डिजिटल ऋण मानदंड जारी किए थे और उद्योग को इस साल नवंबर तक इसे लागू करने के लिए कहा है. फिनटेक उद्योग की कुछ कंपनियों ने चिंता जताई है कि उधार देने के नियम उनके कामकाज को प्रभावित करेंगे. यह भी पढ़ें : जबलपुर में ईसाई धर्म गुरु के यहां ईअेाडब्ल्यू का छापा, नोटों की गिनती मशीन से
राव ने कहा, ''डिजिटल कर ढांचे को एक अभिनव और समावेशी प्रणाली की जरूरत के बीच संतुलन बनाने के लिए तैयार किया गया है. साथ ही इसमें सुनिश्चित किया गया है कि ग्राहकों के हित सुरक्षित रहें.'' उन्होंने कहा कि ये मानदंड पूरी तरह से उन विनियमित संस्थाओं के लिए हैं, जो ऐप के जरिए उधार देते हैं. उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऋण सेवा प्रदाता एवं डिजिटल ऋण के ऐप नियामक दायरे के भीतर रहकर काम करें.