NEW DELHI: पर्यावरण अनुकूल परिवहन परिवेश का विकास समय की मांग: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि पर्यावरण अनुकूल एवं भरोसेमंद परिवहन परिवेश विकसित करना आज समय की मांग है. उन्होंने भारतीय वाहन उद्योग से ‘अमृत काल’ के लक्ष्यों को हासिल करने का मार्ग प्रशस्त करने को भी कहा.
नयी दिल्ली, 12 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि पर्यावरण अनुकूल एवं भरोसेमंद परिवहन परिवेश विकसित करना आज समय की मांग है. उन्होंने भारतीय वाहन उद्योग से ‘अमृत काल’ के लक्ष्यों को हासिल करने का मार्ग प्रशस्त करने को भी कहा. वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के वार्षिक सम्मेलन में अपने संदेश में मोदी ने देश की वृद्धि में इस उद्योग की भूमिका को स्वीकार किया. प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा, ‘‘आज वृद्धि को गति देने के लिहाज से भारत में परिवहन के विभिन्न साधन महत्वपूर्ण हैं. जैसे-जैसे करोड़ों लोग गरीबी से बाहर निकलकर नव-मध्यम वर्ग में आते हैं, वहां सामाजिक तथा आर्थिक गतिशीलता आती है.’’
कार्यक्रम में मौजूद लोगों के समक्ष सियाम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने प्रधानमंत्री का संबोधन पढ़ा. मोदी ने कहा, ‘‘जैसे ही वे अपनी आकांक्षाओं के माध्यम से देश की वृद्धि को आगे बढ़ाते हैं, वे हमारी अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने की शक्ति देते हैं. इससे ही भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. जल्द ही हम शीर्ष तीन में पहुंचने के लिए तैयार हैं.’’ मोदी ने दोहराया कि वाहन उद्योग मूल्य-निर्माण चक्र में उत्प्रेरक और लाभार्थी दोनों है। उन्होंने कहा कि उद्योग ने करोड़ों लोगों को रोजगार देकर आय वृद्धि में योगदान दिया है.
उन्होंने कहा,‘‘ साथ ही, वाहन उद्योग को भी आर्थिक वृद्धि से उत्पन्न अधिक मांग का फायदा मिला है. आज पर्यावरण अनुकूल एवं भरोसेमंद परिवहन परिवेश विकसित करना समय की मांग है। पर्यावरण के प्रति जागरूक तथा आर्थिक रूप से व्यवहार्य आवगमन ही भविष्य है.’’प्रधानमंत्री ने एथनॉल, फ्लेक्स फ्यूल (पेट्रोल के साथ एथनॉल का मिश्रण), सीएनजी, बायो-सीएनजी, हाइब्रिड इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन जैसी कई वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों का हवाला देते हुए कार्बन उत्सर्जन तथा तेल आयात पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए ठोस प्रयास जारी रखने और उन्हें अधिक बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया.
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