देश की खबरें | लोकतंत्र सफल नहीं होगा अगर नागरिक अधिकारों पर दावा करें और कर्तव्यों की उपेक्षा : न्यायमूर्ति मृदुल

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मणिपुर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल ने मंगलवार को कहा कि कोई भी लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता, यदि नागरिक केवल अपने अधिकारों का दावा करें और अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करें।

पणजी, 26 नवंबर मणिपुर उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल ने मंगलवार को कहा कि कोई भी लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता, यदि नागरिक केवल अपने अधिकारों का दावा करें और अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करें।

संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर यहां गोवा के उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मृदुल ने कहा कि नागरिकों को देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए आगे आना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी ऐसा लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता, जहां नागरिक केवल अपने अधिकारों का दावा करते हैं, लेकिन जिम्मेदारियां लेने और देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने के वास्ते आगे आकर नागरिक कर्तव्यों का सक्रिय रूप से निर्वहन करने की उपेक्षा करते हैं।’’

इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, राज्य के कानून मंत्री एलेक्सो सेक्वेरा, विपक्ष के नेता यूरी एलेमाओ और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मृदुल ने कहा कि 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा नागरिक के मौलिक कर्तव्य को भारतीय संविधान में शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मूल भारतीय संविधान, जो दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा लिखित संविधान है, ने लोकतांत्रिक और समतावादी राजनीति में नागरिक जीवन के प्रति समग्र दृष्टिकोण रखा, जिसमें मौलिक कर्तव्यों को शामिल करना अनिवार्य नहीं माना गया था।’’

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