देश की खबरें | दिल्ली सत्र अदालत ने अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि मामले में आदेश देने से न्यायाधीश को रोका

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नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर राष्ट्रीय राजधानी की एक सत्र अदालत ने शनिवार को यहां एक मजिस्ट्रेट अदालत को निर्देश दिया कि वह केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि की आपराधिक शिकायत के सिलसिले में अंतिम आदेश पारित करने से परहेज करे।

सत्र अदालत ने निर्देश दिया है कि सुनवाई की अगली तारीख तक अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा।

गहलोत की ओर से दायर एक पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एम. के. नागपाल ने निचली अदालत को इस मामले में दलीलें सुनना जारी रखने की अनुमति दी कि क्या एक मुख्यमंत्री के खिलाफ नोटिस तैयार किया जाए?

नागपाल ने कहा, ‘‘न्याय के हित में, यह निर्देश दिया जा रहा है कि यद्यपि निचली अदालत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 500 (मानहानि) के तहत अपराध को लेकर याचिकाकर्ता (गहलोत) को नोटिस देने की आवश्यकता पर दलीलें सुनना जारी रख सकता है, लेकिन वर्तमान पुनरीक्षण याचिका में सुनवाई की अगली तारीख तक इस संबंध में कोई अंतिम आदेश पारित नहीं किया जाएगा।”

उन्होंने पहले शिकायत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता गहलोत को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने की अनुमति दी थी।

एक मजिस्ट्रेट अदालत गहलोत के खिलाफ केंद्रीय मंत्री एवं राजस्थान भाजपा के वरिष्ठ नेता शेखावत की शिकायत पर सुनवाई कर रही है। गहलोत ने केंद्रीय मंत्री शेखावत को राज्य के कथित ‘संजीवनी घोटाले’ से संबद्ध होने का आरोप लगाया था, जिसके खिलाफ उन्होंने (शेखावत ने) मानहानि का मुकदमा किया है।

यह मामला संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा हजारों निवेशकों को कथित तौर पर लगभग 900 करोड़ रुपये का चूना लगाने से संबंधित है।

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री एवं जोधपुर से सांसद शेखावत ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि गहलोत कथित घोटाले को लेकर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं और उनकी छवि खराब करने तथा उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने कहा था कि आरोपी ने शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से "प्रथम दृष्टया" मानहानिकारक आरोप लगाए थे।

शेखावत ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि गहलोत ने प्रेस वार्ता, मीडिया खबर और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये उन्हें सार्वजनिक रूप से बदनाम किया।

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