देश की खबरें | दिल्ली दंगे: अदालत ने निचली अदालत को संरक्षित गवाहों के मूल बयान बंद लिफाफे में सौंपने का दिया निर्देश
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने से जुड़े एक मामले में संरक्षित गवाहों के मूल बयान, जिनसे कोई छेड़छाड़ ना की गई हो, बंद लिफाफे में उनके समक्ष पेश करने का बुधवार को निचली अदालत को निर्देश दिया।
नयी दिल्ली, सात अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगों की साजिश रचने से जुड़े एक मामले में संरक्षित गवाहों के मूल बयान, जिनसे कोई छेड़छाड़ ना की गई हो, बंद लिफाफे में उनके समक्ष पेश करने का बुधवार को निचली अदालत को निर्देश दिया।
इस संबंध में ही जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा पर मुकदमा चल रहा है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भमभानी की पीठ ने कहा कि बयान उसके समक्ष मामले की अगली सुनवाई यानी 14 अप्रैल को पेश किए जाए।
पीठ ने कहा, ‘‘ निचली अदालत को संरक्षित गवाहों के मूल बयान, जिनसे कोई छेड़छाड़ ना की गई हो, उन्हें बंद लिफाफे मामले की अगली सुनवाई, यानी 14 अप्रैल को पेश करने का निर्देश दिया गया है।’’
इस आदेश के साथ ही, दिल्ली पुलिस के उस आवेदन का निपटारा हो गया, जिसमें उसने निचली अदालत से संरक्षित गवाहों के मूल बयान मांगे थे।
बयान में संरक्षित गवाहों के नाम और उनकी निजी जानकारी साझा नहीं की गई है।
उच्च न्यायालय ने 18 मार्च को तन्हा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए पुलिस को लिखित प्रतिवेदन, गवाहों के बयान और अन्य प्रासंगिक दस्तावेजों की प्रतियां मांगी थी।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार तन्हा ने याचिका में पिछले साल फरवरी में दिल्ली में हुई एक बड़ी साजिश से संबंधित मामले में जमानत दिये जाने का अनुरोध किया था।
तन्हा ने निचली अदालत के 26 अक्टूबर, 2020 के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसकी जमानत याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसने पूरी साजिश में कथित तौर पर सक्रिय भूमिका निभाई थी।
गौरतलब है कि संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच पिछले साल 24 फरवरी को उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक झड़प में 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 घायल हो गये थे।
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