देश की खबरें | दिल्ली: अदालत ने मकोका मामले में ‘आप’ विधायक नरेश बाल्यान को न्यायिक हिरासत में भेजा

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नयी दिल्ली, 13 दिसंबर दिल्ली की एक अदालत ने उत्तम नगर सीट से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक नरेश बाल्यान को कथित संगठित अपराध से जुड़े एक मामले में शुक्रवार को नौ जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया और पुलिस को उनकी रिमांड देने से इनकार कर दिया।

अदालत ने कहा कि बाल्यान को जांच में सहयोग करने के लिए ‘‘मजबूर’’ नहीं किया जा सकता।

विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत दर्ज मुकदमे में बाल्यान की 10 दिन की और हिरासत देने का अनुरोध किया था।

न्यायाधीश बावेजा ने कहा कि जांच एजेंसी द्वारा बताए गए आधार हिरासत बढ़ाने को उचित नहीं ठहराते।

न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस ने बाल्यान की हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए दलील दी कि उन्होंने हिरासत अवधि के दौरान सहयोग नहीं किया और पूछताछ के दौरान सवालों के जवाब नहीं दिए।

अदालत ने कहा कि पुलिस हिरासत बढ़ाने का अनुरोध करने वाले जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा बताया गया एक आधार यह है कि आरोपी संगठित अपराध के अन्य सदस्यों के नामों का खुलासा नहीं कर रहा है।

न्यायाधीश ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि आरोपियों को जांच में सहयोग करने या उनके खिलाफ इस्तेमाल की जा सकने वाली कोई भी जानकारी देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।”

उन्होंने कहा कि आरोपियों का सामना उन अन्य सदस्यों से कराने के लिए पुलिस हिरासत को नहीं बढ़ाया जा सकता, जो निश्चित रूप से अब भी फरार हैं।

अदालत ने कहा, “इस बारे में कोई निश्चितता नहीं है कि उन्हें कब और कैसे गिरफ्तार किया जाएगा, इसलिए आरोपी की पुलिस हिरासत बढ़ाने का यह आधार नहीं हो सकता कि उसका (बाल्यान) सामना उन लोगों से कराया जाए जो फरार हैं।”

बाल्यान की सात दिन की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद उनकी न्यायिक हिरासत का आदेश दिया गया। उन्हें आज अदालत में पेश किया गया था।

अदालत में दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने वाले विशेष लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह ने बाल्यान की हिरासत देने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस मामले में बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए उनसे पूछताछ करने की जरूरत है।

विधायक को कथित संगठित अपराध मामले में चार दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था जबकि इससे पहले एक अदालत ने उन्हें कथित जबरन वसूली के एक मामले में जमानत दी थी।

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