देश की खबरें | मूल्य आधारित और राष्ट्रवादी शिक्षा के लिए आजीवन संघर्षरत रहे दीनानाथ बत्रा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े शिक्षाविद दीनानाथ बत्रा का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे।

नयी दिल्ली, आठ नवंबर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े शिक्षाविद दीनानाथ बत्रा का बृहस्पतिवार को निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे।

पंजाब में एक स्कूल शिक्षक से लेकर आरएसएस द्वारा संचालित विद्यालयों की संस्था विद्या भारती के प्रमुख बनने तक बत्रा को मूल्य-आधारित और ‘राष्ट्रवादी’ शिक्षा की वकालत करने के लिए याद किया जाता रहेगा।

विद्या भारती आज 12,000 विद्यालयों का संचालन करती है जिनमें 32 लाख से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं।

बत्रा 2011 में कुछ पुस्तकों के खिलाफ मुकदमे दायर करने को लेकर खबरों में रहे थे। इनमें किताब ‘वेंडी डोनिगरर्स हिंदूज: एन आल्टरनेटिव हिस्ट्री’ शामिल है। उन्होंने किताब को ‘गैर-भारतीय’ करार दिया था और हिंदुत्व की उसकी व्याख्या का विरोध किया था।

प्रकाशक ने न केवल इस विवादास्पद किताब को 2014 में भारतीय बाजारों से वापस ले लिया बल्कि देश में इसके प्रकाशन, वितरण और बिक्री को रोकने तथा छप चुकीं किताबों को नष्ट करने पर सहमति जताई।

बत्रा ने ए के रामानुजन के निबंध ‘थ्री हंड्रेड रामायणाज’ के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसके बाद इसे 2011 में दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास के पाठ्यक्रम से हटा लिया गया था।

उन्होंने एक जनहित याचिका दायर करके राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को भी अदालत में घसीटा था। जनहित याचिका में माध्यमिक विद्यालय के इतिहास और सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम की सामग्री पर 70 आपत्तियां उठाई गई थीं।

बत्रा द्वारा स्थापित आरएसएस से जुड़े एक अन्य शैक्षणिक संगठन ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ के प्रमुख अतुल कोठारी ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) इस क्षेत्र में बत्रा के आजीवन प्रयासों का परिणाम है।

कोठारी ने कहा, ‘‘बत्रा ने अपना जीवन भारतीय मूल्यों और भारतीयता के साथ शिक्षा को आत्मसात करने के लिए समर्पित कर दिया था। 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस क्षेत्र में उनके आजीवन प्रयासों का परिणाम है।’’

शुक्रवार को बत्रा का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ के कार्यालय में रखा गया था।

डेरा गाजी खान (अब पाकिस्तान में) के राजनपुर में जन्मे बत्रा ने पंजाब के डेरा बस्सी में डीएवी स्कूल में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया था। वह गीता सीनियर स्कूल, कुरुक्षेत्र के प्रधानाध्यापक भी बने, जो आरएसएस द्वारा भारत में विद्या भारती के तहत स्थापित पहला स्कूल था। बाद में उन्होंने विद्या भारती के प्रमुख के रूप में काम किया।

गुजरात की भाजपा सरकार ने 2014 में एक परिपत्र जारी कर बत्रा द्वारा लिखी गई छह पाठ्यपुस्तकों को पूरक साहित्य के रूप में राज्य शिक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा घोषित किया था। उसी वर्ष, हरियाणा ने राज्य में शिक्षा के पुनरुद्धार कार्य में परामर्श के लिए के लिए बत्रा की सेवाएं ली थीं।

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