ताजा खबरें | मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराने को लेकर राज्यसभा में गतिरोध बरकरार
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. संसद के मानसून सत्र को समाप्त होने में अब महज दो ही दिन बचे हैं लेकिन मणिपुर के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा कराने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बुधवार को भी जारी रहा।
नयी दिल्ली, नौ अगस्त संसद के मानसून सत्र को समाप्त होने में अब महज दो ही दिन बचे हैं लेकिन मणिपुर के मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा कराने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बुधवार को भी जारी रहा।
उच्च सदन में सत्ता पक्ष जहां नियम 176 के तहत चर्चा कराने पर अड़ा हुआ है वहीं विपक्ष भी कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिए नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है।
सभापति जगदीप धनखड़ ने गतिरोध दूर करने का बुधवार को भी प्रयास किया लेकिन यह प्रयास विफल नजर आया। अलबत्ता हंगामे और नारेबाजी के कारण उच्च सदन की बैठक तीन बार स्थगित करनी पड़ी।
तीन बार के स्थगन के बाद जब सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई तो सदन में वही नजारा देखने को मिला। सभापति ने हंगामे के बीच ही विधेयकों पर चर्चा शुरू करवायी। विपक्ष के सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग को लेकर सदन से बहिर्गमन किया।
इससे पहले हंगामे के बीच नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग की। खरगे ने कहा कि न सिर्फ उन्होंने बल्कि विपक्ष के कई नेताओं ने नियम 267 के तहत नोटिस देकर नौ बिंदुओं को स्पष्ट किया है कि क्यों इस मुद्दे पर चर्चा की जरूरत है।
खरगे ने एक बार फिर मांग की कि प्रधानमंत्री मणिपुर मुद्दे पर सदन में एक बयान दें।
सभापति ने कहा कि वह एक बार इस संबंध में अपनी व्यवस्था दे चुके हैं, इसके बाद भी नेता प्रतिपक्ष बार-बार इस मुद्दे को उठाने का प्रयास कर रहे हैं। सभापति ने खरगे से पूछा कि वह कब तक इस विषय को उठाते रहेंगे।
इस पर खरगे ने कहा कि जब तक वह ‘‘सभापति का दिल नहीं जीत लेते...’’ और प्रधानमंत्री सदन में आकर बयान नहीं देते।
धनखड़ ने कहा कि वह पहले ही मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए अनुमति दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विषय को सूचीबद्ध भी किया गया और चर्चा के लिए समय की अवधि को भी बढ़ाकर असीमित कर दिया ताकि सभी पक्ष अपनी बात रख सकें।
खरगे ने कहा कि मणिपुर मुद्दे पर पूरा सदन चर्चा चाहता है और इस सदन में पहले भी नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस को स्वीकार किया गया है। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री क्यों सदन में नहीं आ रहे हैं और इस विषय में उन्होंने क्यों चुप्पी साध रखी है?
खरगे की मांग से असहमति जताते हुए सदन के नेता पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार सत्र के पहले दिन से मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है और इस संबंध में गृह मंत्री अमित शाह ने भी स्थिति साफ कर दी है।
गोयल ने कहा कि मणिपुर का मुद्दा एक गंभीर विषय है और उस संबंध में हमें एक स्वर में बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति के बदले सार्थक एवं सूक्ष्म चर्चा होनी चाहिए और हमें वहां के लोगों को मरहम लगाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में किसी एक खास नियम के तहत ही चर्चा की जिद करना उचित नहीं है और आसन ने इस संबंध में पहले ही व्यवस्था दी थी। उन्होंने कहा कि जब एक बार किसी नियम के तहत चर्चा की मांग को स्वीकार कर लिया गया हो तो उसमें बदलाव उचित नहीं है।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष से सवाल किया कि पहले भी देश में इस तरह की घटनाएं हुईं और उन विषयों पर हुई चर्चा का जवाब किसने दिया? उन्होंने कहा कि सदन में इस मुद्दे पर चर्चा होने दें और गृह मंत्री उसका जवाब देंगे।
इस दौरान सदन में हंगामा जारी रहा और विपक्ष नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग पर अड़ा रहा।
सभापति ने कहा, ‘‘आपलोग आपस में चर्चा करें, कोई रास्ता निकालें। मैं सदन की कार्यवाही आगे बढ़ा रहा हूं।’’
इसके बाद उन्होंने सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार की ओर से पेश संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक-2023 पर फिर से चर्चा आरंभ करा दी।
अपनी मांग स्वीकार नहीं होने पर नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा कि विपक्ष का इरादा है कि मणिपुर मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हो। उन्होंने कहा, ‘‘...सरकार विपक्ष की बात सुन नहीं रही है, प्रधानमंत्री सदन में आने को तैयार नहीं हो रहे हैं, विपक्ष का अपमान किया जा रहा है। इसलिए हम विरोधस्वरूप सदन से वाकआउट करते हैं।’’
इसके बाद सदन में विधेयक पर चर्चा सामान्य ढंग से प्रारंभ हो गयी।
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