ताजा खबरें | ‘हिट एंड रन’ मामले कम करने के लिए ‘डैश कैम’ अनिवार्य किया जाए: राकांपा सांसद फौजिया खान

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने सोमवार को कहा कि दुर्घटनाओं से संबंधित चिंताओं को दूर करने और जिम्मेदार ड्राइविंग प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए वाहनों में ‘डैश कैम’ लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए।

नयी दिल्ली, पांच फरवरी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की राज्यसभा सदस्य फौजिया खान ने सोमवार को कहा कि दुर्घटनाओं से संबंधित चिंताओं को दूर करने और जिम्मेदार ड्राइविंग प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए वाहनों में ‘डैश कैम’ लगाना अनिवार्य किया जाना चाहिए।

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुए राकांपा सदस्य ने कहा कि औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में ‘हिट एंड रन’ मामलों के सख्त प्रावधानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एक प्रमुख पहलू जो इन कड़े उपायों के मद्देनजर ध्यान देने योग्य है और वह है डैश कैम का प्रचार। डैश कैम एक मूल्यवान उपकरण के रूप में उभरा है जो सड़क दुर्घटना की स्थिति में ठोस सबूत प्रदान कर सकता है।’’

खान ने कहा कि दुनिया के ज्यादातर देशों ने बड़े पैमाने पर डैश कैम को अपनाया है। उन्होंने कहा कि निर्माताओं के लिए डैश कैम का उपयोग अनिवार्य बनाकर विश्वसनीय साक्ष्य एकत्र करने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और निष्पक्ष कानूनी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने मदद मिल सकती है।

डैश कैम एक छोटा वीडियो कैमरा होता है जो कार के डैशबोर्ड या विंडशील्ड पर लगा होता है। इसका उपयोग वाहन चलाते समय उसके सामने होने वाली हर चीज को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है।

राकांपा सदस्य ने कहा कि आज निर्माताओं के लिए सीट बेल्ट, सीट बेल्ट बीप आदि अनिवार्य की गई हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘डैश कैम को उसी तरह अनिवार्य किया जा सकता है।’’

खान ने कहा कि ये उपकरण एक निष्पक्ष गवाह के रूप में घटनाओं को सटीक रूप से रिकॉर्ड करते हैं और अनैतिक व्यवहार को हतोत्साहित करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि भारत सख्त यातायात नियमों से उत्पन्न चुनौतियों से जूझ रहा है, डैश कैम का समावेश दुर्घटनाओं, सबूतों से छेड़छाड़ से संबंधित चिंताओं को दूर करने और जिम्मेदार ड्राइविंग प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक व्यावहारिक और प्रभावी समाधान के रूप में उभर सकता है।’’

कांग्रेस के सदस्य इमरान प्रतापगढ़ी ने दिल्ली में पुराने ढांचों को हटाने डीडीए की ‘असंवैधानिक कार्रवाई’ पर चिंता जताई।

उन्होंने कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) मस्जिद सहित ऐतिहासिक इमारतों और ढांचों को अवैध रूप से हटा रहा है।

प्रतापगढ़ी ने कहा कि सरकार ने 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के लिए दरगाह निजामुद्दीन औलिया की यात्रा की व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार ने फ्रांस के राष्ट्रपति की दरगाह यात्रा की व्यवस्था की तो दूसरी तरफ इसी सरकार के निर्देश पर डीडीए अवैध रूप से पुराने ढांचों को गिरा रहा था।

डीडीए द्वारा महरौली में ‘एक मस्जिद और एक मदरसा के विध्वंस’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से पूछना चाहता हूं... 700 साल पुराने ढांचे को अवैध रूप से ध्वस्त करने के लिए वे डीडीए अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगी।’’

वाईएसआर कांग्रेस के वी विजयसाई रेड्डी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा प्रस्तावित मसौदा अनारक्षण नीति को वापस लेने की मांग की।

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों और सहायक प्रोफेसरों के आंकड़ों का हवाला देते हुए, रेड्डी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि यूजीसी ने हाल ही में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए रिक्तियों को आरक्षित करने पर मसौदा दिशानिर्देश जारी किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत ही असंवैधानिक और अनुचित है।’’

उन्होंने कहा कि दिशानिर्देश स्पष्ट रूप से आरक्षित रिक्तियों के अनारक्षण पर प्रतिबंध और असाधारण मामलों में अप्रत्यक्ष भर्ती को हटा सकते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सरकार से गंभीर अपील है कि वह यूजीसी को ऐसे मसौदा दिशानिर्देशों को लागू करने से रोके, जो आरक्षण के मामले में एससी, एसटी और ओबीसी को दिए गए संवैधानिक अधिकारों और सुरक्षा को नष्ट करते हैं।’’

राज्यसभा सदस्य ने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित रिक्त पदों को तेजी से भरा जाए।

पिछले सप्ताह उस समय विवाद पैदा हो गया था जब यूजीसी के दिशानिर्देशों के मसौदे में प्रस्ताव किया गया था कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित किसी भी रिक्ति को ‘अनारक्षित घोषित’ किया जा सकता है, यदि इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं हैं।

हालांकि, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट किया था कि एक भी पद अनारक्षित नहीं किया जाएगा और केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक संवर्ग में आरक्षण) अधिनियम, 2019 लागू होने के बाद आरक्षण के बारे में अस्पष्टता की कोई गुंजाइश नहीं है।

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