COVID-19: कोविशील्ड, कोवैक्सीन की एक-एक खुराक से बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता हो सकती है विकसित: अध्ययन

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक-एक खुराक लेने से इस रोग के खिलाफ बेहतर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई.

कोविशील्ड (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 8 अगस्त : भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि कोविड-19 रोधी टीके कोविशील्ड और कोवैक्सीन की एक-एक खुराक लेने से इस रोग के खिलाफ बेहतर प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई. यह अध्ययन उत्तर प्रदेश में 98 लोगों पर किया गया, जिनमें से 18 ने अनजाने में टीके की पहली खुराक कोविशील्ड और दूसरी खुराक कोवैक्सीन ले ली थी तथा इन दोनों टीकों की एक-एक खुराक लेने से उनमें बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई. अध्ययन में यह भी पाया गया कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके की एक-एक खुराक लेना सुरक्षित हैं और इसके प्रतिकूल प्रभाव भी एक ही टीके की दोनों खुराक के समान पाये गये.

अध्ययन को एक प्रीप्रिंट सर्वर मेडआरविक्स पर अपलोड किया गया है. अध्ययनकर्ताओं ने कहा, ‘‘हमारी जानकारी के मुताबिक यह पहला अध्ययन है जिसमें दो अलग-अलग टीकों की खुराक के असर की जानकारी दी गयी है.’’ भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीकों के साथ शुरू हुआ. हालांकि, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में 18 लोगों ने अनजाने में पहली खुराक कोविशील्ड और दूसरी कोवैक्सीन ले ली. अध्ययन में इन 18 लोगों के साथ ही 40 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिन्होंने कोविशील्ड की दोनों खुराक ली और 40 ऐसे लोगों को शामिल किया, जिन्होंने कोवैक्सीन की दोनों खुराक ली. यह अध्ययन मई से जून 2021 तक किया गया. यह भी पढ़ें : COVID 19: कम उम्र के वयस्कों पर भी कोविड का गंभीर प्रभाव, हो सकती है मौत

अध्ययन में कहा गया है, ‘‘हमने कोविशील्ड या कोवैक्सीन लेने वाले लोगों के मुकाबले इन 18 लोगों की सुरक्षा और रोग प्रतिरोधक क्षमता की तुलना की. अलग-अलग टीकों की खुराक लेने वाले लोगों में अल्फा, बीटा और डेल्टा स्वरूपों के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा थी. अध्ययन में पाया गया कि अलग-अलग टीकों की खुराक लेना न केवल सुरक्षित है, बल्कि इससे बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होती है.’’ इन नतीजों का कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा और इससे सार्स-सीओवी-2 के विभिन्न स्वरूपों के खिलाफ बेहतर सुरक्षा मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा.

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