देश की खबरें | अदालत राऊज आईएएस स्टडी सर्कल के परिसर का उपयोग करने देने पर 28 अगस्त को करेगी निर्णय
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नयी दिल्ली, 22 अगस्त दिल्ली की एक अदालत अगले हफ्ते इस बारे में फैसला करेगी कि राऊज आईएएस स्टडी सर्कल को ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित इसकी इमारत के परिसर का उपयोग करने की अनुमति दी जाए या नहीं।
जुलाई में, इस इमारत के 'बेसमेंट' में बारिश का पानी भर जाने के कारण सिविल सेवा परीक्षा के तीन अभ्यर्थियों की डूबने से मौत हो गई थी।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट निशांत गर्ग ने बुधवार को विषय को 28 अगस्त के लिए निर्धारित कर दिया, जिससे पहले उन्होंने मामले में पेश हुए वकीलों की दलील सुनी।
कोचिंग सेंटर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अभिषेक गुप्ता ने एक अर्जी दायर कर राहत की मांग करते हुए दावा किया कि कक्षाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पीड़ित के मुख्य वकील की ओर से दलीलों सहित इस अर्जी पर दलीलें सुनी गई हैं। आदेश के लिए 28 अगस्त 2024 की तारीख रखी जाए।’’
अदालत में, गुप्ता की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन ने दलील दी कि इमारत का उपयोग करने की आवश्यकता है ताकि छात्र अपना अध्ययन जारी रख सकें।
उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) इमारत में प्रवेश को निषिद्ध नहीं कर सकता।
वकील ने कहा, ‘‘वे (सीबीआई) मुझ पर (गुप्ता पर) मुकदमा चला सकते हैं, लेकिन वे मुझे इमारत के अंदर जाने से नहीं रोक सकते। यदि आप (सीबीआई) चाहते हैं कि इमारत को सील कर दिया जाए, तो किसी और से ऐसा करने के लिए कहें।’’
हालांकि, सीबीआई ने अदालत को बताया कि बेसमेंट का उपयोग भंडारण के लिए किया जाना था और यह घटना इसलिए हुई कि इसका इस्तेमाल पुस्तकालय के रूप में किया जा रहा था।
सीबीआई ने कहा, ‘‘निकट भविष्य में ऐसी दुर्घटना फिर से हो सकती है।’’ उसने कहा कि इमारत में सुरक्षा के कोई उपाय नहीं किये गए हैं।
बेसमेंट में डूबने से जान गंवाने वाले छात्रों में से एक, नेविन डेल्विन के पिता जे डेल्विन सुरेश की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय ने फैसला दिया है कि कोई भी कोचिंग सेंटर सुरक्षा उपायों के बिना संचालित नहीं किया जा सकता।
अदालत ने सीबीआई से पूछा कि क्या उसने ऊपरी मंजिलों को सील कर दिया है और यह भी कहा कि एजेंसी ने यह उल्लेख नहीं किया है कि इमारत अवैध है।
सीबीआई ने कहा कि उसने ऊपरी मंजिलों को सील नहीं किया है।
जॉन ने दावा किया कि इमारत में सभी सुरक्षा मानदंडों का पालन किया गया है।
वकील ने कहा, ‘‘मान लीजिए कि इस इमारत में मैं (गुप्ता) रह रहा था। क्या मुझे अंदर जाने से रोका जा सकता है?’’ उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई ने एक भी सरकारी अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि एजेंसी ‘‘कमजोर लोगों’’ को जेल में डाल रही है।
इस बीच, अदालत ने मनोज कथूरिया द्वारा दायर एक अर्जी पर भी सुनवाई की, जिसमें सीबीआई को उसकी एसयूवी छोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
पुलिस ने दावा किया था कि कथूरिया अपनी एसयूवी जलभराव वाली सड़क पर तेज गति से चला रहा था, जिससे लहर पैदा हुई और कोचिंग सेंटर का गेट टूट गया और बारिश का पानी बेसमेंट में घुस गया, जिसके चलते तीन छात्रों की मौत हो गई।
अदालत ने कार को न छोड़ने के लिए सीबीआई को फटकार लगाई।
अदालत ने बुधवार को कहा, ‘‘वाहन को अपने पास रखने से आपको क्या लाभ होगा? आप इसे क्यों रखना चाहते हैं? आप इसे जब्त किये बिना भी इसका निरीक्षण कर सकते हैं।’’
सीबीआई ने अदालत को बताया कि आईआईटी-दिल्ली के विशेषज्ञों की एक टीम को यह राय देने की जिम्मेदारी दी गई थी कि क्या वाहन द्वारा उठने वाली लहर मुख्य द्वार पर प्रभाव डाल सकती है या इसे गिरा सकती है।
अदालत ने जांच अधिकारी को निर्देश दिया कि वह 28 अगस्त तक, विशेषज्ञों की टीम द्वारा की जाने वाली विशिष्ट कार्यवाही के बारे में उसे सूचित करे।
सीबीआई ने अदालत को यह भी बताया कि उसने राऊज आईएएस स्टडी सर्कल के डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर और कोचिंग सेंटर के सामने स्थित चहल एकेडमी की सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रख लिया है।
इस बीच, अदालत ने गुप्ता द्वारा दायर एक अर्जी को भी स्वीकार कर लिया, जिसमें इमारत की पार्किंग में खड़े छह वाहनों को छोड़ने का अनुरोध किया गया है। इससे पहले, सीबीआई ने कहा कि उसे वाहनों को छोड़ने में कोई आपत्ति नहीं है।
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