देश की खबरें | अदालत ने ‘त्रुटिपूर्ण जांच’ के लिए अभियोजन को आड़े हाथों लिया, सामान में कारतूस ले जाने का आरोपी बरी

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नयी दिल्ली,तीन सितंबर राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने ‘चेक-इन’ बैगेज में चार कारतूस रखने के आरोप में शस्त्र अधिनियम के तहत आरोपित एक व्यक्ति को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन की जांच में ‘खामियां’ हैं और सामान में कारतूस रखवाये जाने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने जांच अधिकारी (आईओ) को ‘त्रुटिपूर्ण जांच’ के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारी ने ‘‘जानबूझकर जांच के बुनियादी नियमों का पालन नहीं किया है, जिसका लाभ आरोपी को मिलना ही चाहिए।’’

अदालत ने जांच के अन्य पहलुओं के अलावा, बैगेज (सामान) आईडी पर्ची जब्त करने में विफल रहने, घटनास्थल पर न जाने और सीसीटीवी फुटेज नहीं मिलने को लेकर जांच अधिकारी (आईओ) को दोषी ठहराया।

अदालत उस मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें आरोपी को छह अगस्त, 2019 को घरेलू हवाईअड्डे के टर्मिनल 1-डी से इंडिगो की उड़ान से लखनऊ जाना था और उसके ‘चेक-इन बैगेज’ से चार कारतूस बरामद किये गये थे।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट भारती गर्ग ने 30 अगस्त को जारी अपने आदेश में कहा कि अभियोजन की जांच में विभिन्न खामियों और गवाहों के साक्ष्य में पर्याप्त विसंगतियों के कारण अभियुक्त के खिलाफ शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 30 (लाइसेंस या नियम के उल्लंघन के लिए सजा) के तहत आरोप को ठोस आधार देने ने में विफल रहा है।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘परिणामस्वरूप, चूंकि अभियोजन पक्ष अपने मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है, इसलिए आरोपी राजेश प्रसाद मिश्रा को दोषी नहीं ठहराया जाता है और बरी किया जाता है।’’

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