नयी दिल्ली, 13 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मेघालय की पत्रकार पैट्रीसिया मुखिम के खिलाफ उनकी फेसबुक पोस्ट के कारण दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर बुधवार को राज्य सरकार से जवाब मांगा। उच्च न्यायालय ने राज्य में आदिवासियों और गैर आदिवासियों के बीच कथित रूप से सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के आरोप में इस पत्रकार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से इंकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और उससे पांच फरवरी तक इस पर जवाब मांगा है।
पीठ ने पत्रकार की ओर से पेश अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर को याचिका की प्रति राज्य सरकार के एडवोकेट ऑन रिकार्ड अधिवक्ता को सौंपने की अनुमति भी प्रदान की।
मुखिम ने अपनी याचिका में कहा है कि सच्चाई कहने के कारण उनका उत्पीड़न किया जा रहा है और उन्होंने नफरत पैदा करने का अपराध करने वालों के खिलाफ कानून का शासन लागू करने का अनुरोध किया है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि फेसबुक पर उनकी पोस्ट पढ़ने से मंशा साफ होती है कि इसका मकसद निष्पक्ष होकर कानून का शासन लागू करने और सभी नागरिकों के साथ कानून के समक्ष समान व्यवहार करने की अपील करना है।
मेघालय उच्च न्यायालय ने पिछले साल 10 नवंबर को मुखिम के खिलाफ उनकी फेसबुक पोस्ट के कारण दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने से इंकार कर दिया था।
शिलांग टाइम्स समाचार पत्र की संपादक और पद्मश्री से सम्मानित मुखिम की याचिका का निस्तारण करते हुये उच्च न्यायालय ने कहा था कि जांच एजेन्सी को इस मामले की जांच करने की पूरी छूट दी जानी चाहिए।
मुखिम ने पिछले साल जुलाई में बास्केटबॉल कोर्ट पर पांच लड़कों पर हुये हमले के बाद इन हमलावरों की पहचान करने में विफल रहने पर लॉसोतुन ग्राम परिषद की फेसबुक पर तीखी आलोचना की थी। इस मामले में 11 व्यक्ति पकड़े गये थे और दो को गिरफ्तार किया गया था।
ग्राम परिषद की शिकायत पर मुखिम के खिलाफ पिछले साल छह जुलाई को प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।
अनूप
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