देश की खबरें | देश भर में महिला एकीकृत सहायता प्रणाली लागू करने संबंधी याचिका पर न्यायालय ने नालसा से रिपोर्ट मांगी

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नयी दिल्ली, 15 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने पूरे देश में महिला एकीकृत सहायता प्रणाली के क्रियान्वयन को लेकर दिशानिर्देश जारी करने संबंधी एक याचिका पर राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) से शुक्रवार को रिपोर्ट मांगी।

महिला एकीकृत सहायता प्रणाली सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में हिंसा की शिकार महिलाओं को सुगम न्याय तक पहुंच प्रदान करती है।

याचिका में कहा गया है कि यह परियोजना पिछले तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में प्रायोगिक पैमाने पर चल रही है।

याचिका के अनुसार, यह महिला हेल्पलाइन 181, नालसा कानूनी सहायता हेल्पलाइन 15100 और अन्य सभी सरकारी योजनाओं की प्रौद्योगिकी आधारित एकीकृत प्रणाली है, जो हिंसा की शिकार महिलाओं और लड़कियों को आपराधिक न्याय प्रणाली तक आसान पहुंच प्रदान करने और उन्हें सशक्त बनाने तथा ऐसी हिंसा से बचाने के लिए है।

याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष हुई।

याचिकाकर्ताओं- ‘द नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फॉर फास्ट जस्टिस’ और ‘अमन सत्या काचरू ट्रस्ट’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में इसके परिणाम असाधारण रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘इससे पहले कि हम मामले में आगे बढ़ें, हम उस योजना के बारे में नालसा से एक रिपोर्ट तलब करेंगे, जिसे याचिकाकर्ता लागू करवाना चाहते हैं। तीन सप्ताह के भीतर आवश्यक काम पूरा करने दें। चार सप्ताह के बाद मामले को सूचीबद्ध करें।’’

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि कई बार प्रयोग के तौर पर योजनाएं शुरू की जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे एक ही बार में सभी जगह लागू कर दिया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने कहा, "नालसा एक बजट के दायरे में काम करता है। यह बजट सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है और उन मापदंडों के तहत यह काम करता है।"

अधिवक्ता सत्य मित्र के माध्यम से दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि यह एक ‘सफल परियोजना’ है और वे इसे पूरे देश में लागू करने की मांग कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ''यह पिछले तीन वर्षों से जम्मू-कश्मीर और छत्तीसगढ़ में प्रायोगिक तौर पर काम कर रहा है।''

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