देश की खबरें | न्यायालय ने सुल्तानपुर से सपा उम्मीदवार के निर्वाचन के खिलाफ मेनका गांधी की याचिका पर सुनवाई टाली
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नयी दिल्ली, 22 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की उस याचिका पर सुनवाई टाल दी जिसमें उन्होंने सुल्तानपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के रामभुआल निषाद के निर्वाचन को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा से विलंब के लिए माफी संबंधी अर्जी को रिकॉर्ड में रखने को कहने के बाद मामले की सुनवाई दो दिसंबर के लिए स्थगित कर दी।
विलंब के लिए माफी प्रदान करना अदालत का एक विवेकाधिकार है जो अपील दायर करने के लिए निर्धारित समय सीमा को विस्तारित करती है।
गांधी 2024 के लोकसभा चुनाव में निषाद से 43,174 मतों के अंतर से हार गई थीं।
गांधी की अपील में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 14 अगस्त के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें निषाद के निर्वाचन के खिलाफ उनकी चुनाव याचिका को खारिज कर दिया गया था, क्योंकि उसे दायर करने की समय सीमा समाप्त हो चुकी थी।
उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने कहा था कि याचिका 45 दिन की समय सीमा के बाद दायर की गई थी, जो उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर करने की वैधानिक अवधि है और इसलिए याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।
गांधी ने दलील दी कि निषाद ने मतदाताओं को उनकी (निषाद की) पूरी आपराधिक पृष्ठभूमि को जानने के अधिकार से वंचित किया है और इसलिए याचिका दायर करने में देरी को माफ किया जाना चाहिए। उन्होंने दलील दी कि निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं, लेकिन उन्होंने अपने हलफनामे में केवल आठ की जानकारी दी।
गांधी की याचिका को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘यह चुनाव याचिका जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 81 के साथ धारा 86 और दीवानी प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 11 (डी) के तहत समय-सीमा समाप्त होने के कारण खारिज किये जाने योग्य है।’’
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