देश की खबरें | न्यायालय ने सूरजगढ़ खदान आगजनी मामले में वकील गाडलिंग की जमानत याचिका पर सुनवाई टाली
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने 2016 के सूरजगढ़ लौह अयस्क खदान आगजनी मामले के सिलसिले में अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को चार दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
नयी दिल्ली, 25 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने 2016 के सूरजगढ़ लौह अयस्क खदान आगजनी मामले के सिलसिले में अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग की जमानत याचिका पर सुनवाई सोमवार को चार दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील द्वारा इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगे जाने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी।
शीर्ष न्यायालय ने 10 अक्टूबर 2023 को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने 31 जनवरी 2023 को यह उल्लेख करते हुए गाडलिंग को जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उनके खिलाफ आरोप प्रथमदृष्टया सही प्रतीत होते हैं।
माओवादियों ने 25 दिसंबर 2016 को उन 76 वाहनों को कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया था, जिनका उपयोग महाराष्ट्र में गडचिरौली स्थित सूरजगढ़ खदानों से लौह अयस्क की ढुलाई के लिए किया जा रहा था।
गाडलिंग पर आरोप है कि उन्होंने माओवादियों को मदद प्रदान की। उनके खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (यूएपीए) के विभिन्न प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया है।
अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि गाडलिंग ने सरकार की गतिविधियों के बारे में गोपनीय सूचना और कुछ खास नक्शे भूमिगत माओवादियों को मुहैया कराये थे।
गाडलिंग एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में भी आरोपी हैं। यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुई एल्गार परिषद में दिये गये कथित भड़काऊ भाषणों से संबद्ध है। पुलिस का दावा है कि इन भाषणों के चलते इसके अगले दिन पुणे जिले में कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के नजदीक हिंसा भड़की थी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)