सुप्रीमकोर्ट ने तमिलनाडु को ऑनलाइन या सीधे शराब की बिक्री का तरीका खोजने की दी अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में ऑनलाइन अथवा सीधे शराब की बिक्री करने का तरीका अपनाने की अनुमति प्रदान करते हुये शुक्रवार को कहा कि शराब की बिक्री के तरीके निर्धारित करना अदालत का काम नहीं है. इस अपील में दलील दी गयी थी कि शराब की दुकानों को बंद करने से राज्य सरकार को राजस्व का बहुत नुकसान होगा और इससे व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो जायेंगी.
नई दिल्ली , 12 जून: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को राज्य में ऑनलाइन अथवा सीधे शराब की बिक्री करने का तरीका अपनाने की अनुमति प्रदान करते हुये शुक्रवार को कहा कि शराब की बिक्री के तरीके निर्धारित करना अदालत का काम नहीं है. न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ राज्य सरकार की फर्म तमिलनाडु (Tamil Nadu) राज्य विपणन निगम की इस दलील से सहमत थी कि उसे शराब की बिक्री सिर्फ ऑनलाइन करने और घर पहुंचाने के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया जा सकता. राज्य में यह निगम ही शराब की बिक्री करता है.
पीठ ने इस मामले की वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान तमिलनाडु राज्य विपणन निगम को निर्देश दिया कि वह दुकानों में शराब की बिक्री के बारे में तीन सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करे. शीर्ष अदालत ने 15 मई को तमिलनाडु में राज्य के स्वामित्व वाली शराब की दुकानों को खोलने का मार्ग प्रशस्त करते हुये मद्रास उच्च न्यायलाय (Madras High Court) के आठ मई के आदेश पर रोक लगा दी थी. उच्च न्यायालय ने इन दुकानों को बंद करने का आदेश देते हुये कहा था कि कोविड-19 के दौरान सामाजिक दूरी बनाये रखने संबंधी दिशा निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है.
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि शरब की दुकानों पर जबर्दस्त भीड़ हो रही है और सामाजिक दूरी के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. हालांकि, अदालत ने ऑन लाइन बिक्री के माध्यम से घरों में शराब पहुंचाने की अनुमति प्रदान की थी. तमिलनाडु सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर की थी. इस अपील में दलील दी गयी थी कि शराब की दुकानों को बंद करने से राज्य सरकार को राजस्व का बहुत नुकसान होगा और इससे व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो जायेंगी.
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