देश की खबरें | अदालत ने लूटपाट के लिए मकोका के तहत दर्ज मामले में चार आरोपियों को बरी किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. ठाणे की एक अदालत ने 2016 में लूट के एक प्रकरण में सख्त महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत दर्ज मामले में चार लोगों को उनके खिलाफ ठोस सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
ठाणे (महाराष्ट्र), 15 जुलाई ठाणे की एक अदालत ने 2016 में लूट के एक प्रकरण में सख्त महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत दर्ज मामले में चार लोगों को उनके खिलाफ ठोस सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
मकोका अदालत के विशेष न्यायाधीश अमित एम शेटे ने 11 जुलाई को दिए आदेश कहा कि अभियोजन आरोपियों के खिलाफ कोई भी आरोप साबित करने में नाकाम रहा है।
इस आदेश की एक प्रति सोमवार को उपलब्ध हुई।
विशेष लोक अभियोजक संजय मोरे ने अदालत को बताया कि 16 जून 2016 को तड़के बिजली के सामान के एक दुकानदार ने लाठी और एक चाकू लिए पांच अज्ञात लोगों को पालघर जिले के वाडा में उनके घर में घुसते हुए देखा।
आरोपियों ने 1.50 लाख रुपये नकद, मोबाइल फोन, सोने के आभूषण समेत कीमती सामान लूटे और भागने से पहले दुकानदार की पत्नी से मारपीट भी की। इसके बाद दुकानदार ने वाडा पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज करायी।
जांच के दौरान पता चला कि कुछ आरोपियों के खिलाफ पहले भी आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसके बाद जांच अधिकारी ने आरोपियों के खिलाफ मकोका लगाने के लिए एक प्रस्ताव भेजा तथा संबंधित प्राधिकारियों ने इसकी अनुमति दे दी।
बचाव पक्ष के वकील पुनीत महीमकर ने आरोपों का विरोध किया और अभियोजन पक्ष के मामले में कमियों को उजागर किया।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर उपलब्ध सबूतों को देखने के बाद कुछ तथ्य सामने आए जो अभियोजन पक्ष के लिए घातक हैं।’’
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष के गवाह आरोपियों को पहचानने में विफल रहे।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के एक गवाह के अनुसार आरोपियों ने अपराध को अंजाम देते वक्त अपने चेहरे ढके हुए थे और इसके बावजूद गवाह ने शिनाख्त परेड में आरोपियों को पहचान लिए।
अदालत ने कहा, ‘‘आरोपियों की आपराधिक पृष्ठभूमि है और इसलिए मकोका को लागू करना मनमाना नहीं कहा जा सकता। हालांकि, गवाह और अभियोजन भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय आरोपों को साबित करने में नाकाम रहे और इसलिए आरोपियों को मकोका के तहत दंडनीय अपराध के लिए संदेह का लाभ दिया जा सकता है।’’
इस मामले में रिहा किए गए अविनाश उर्फ वकडी बाबन दीवा (30), विनोद उर्फ हेलमेंट लक्ष्मण वाघ (31), रोहन उर्फ रुपेश उर्फ रोशन राजेंद्र भानुशाली (30) और सलमान इलियास शेख (30) पालघर के वाडा में नेहरू नगर में रहते हैं और सभी मजदूर हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)