देश की खबरें | कांग्रेस नेता मारग्रेट अल्वा ने मोदी, शाह पर कर्नाटक सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया

बेंगलुरु, 20 अगस्त कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मारग्रेट अल्वा ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर राज्यपाल थावरचंद गहलोत का इस्तेमाल कर कर्नाटक में पार्टी की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।

किसी का नाम लिए बिना पूर्व राज्यपाल अल्वा ने कहा, ‘‘गुजरात की जोड़ी एक बार फिर अपने खेल में जुट गई है। भारत के लोगों द्वारा उनकी शक्तियों की सीमित करने के लिए वोट करने (लोकसभा चुनाव में) के बाद भी उन्होंने सबक नहीं सीखा है।’’

गहलोत ने 16 अगस्त को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत जांच और भ्रष्टाचार के आरोपों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी।

अल्वा ने कहा, ‘‘विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने के लिए दृढ़ संकल्पित लोगों ने अब कर्नाटक और यहां के पिछड़े वर्ग, लोकप्रिय मुख्यमंत्री पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं, जो राजभवन में अपने 'सेवक' का इस्तेमाल कर अपना खेल खेल रहे हैं। लेकिन कांग्रेस और उसका नेतृत्व मजबूत है और उसे हिलाया नहीं जा सकता।’’

उन्होंने याद दिलाया कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नेतृत्व में सरकार ने 1978 में कर्नाटक में देवराज उर्स सरकार को बर्खास्त कर दिया था और ‘राज्यपाल के खेल’ के जरिए विधानसभा भंग कर दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन उसी राज्यपाल को चुनाव के बाद फिर से उन्हें (उर्स) शपथ दिलानी पड़ी थी।’’

अल्वा ने कहा, ‘‘कर्नाटक के लोगों को बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है, हम सिद्धरमैया के नेतृत्व में लड़ेंगे और जीतेंगे।’’

सिद्धरमैया ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा अपनी पत्नी पार्वती को भूखंड के आवंटन में अनियमितताओं के आरोपों को ‘मनगढ़ंत’ करार दिया है।

उन्होंने सोमवार को उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर एमयूडीए मामले में उनके खिलाफ मुकदमे को मंजूरी देने से संबंधित राज्यपाल थावरचंद गहलोत के आदेश को चुनौती दी।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे, वैधानिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए और मंत्रिपरिषद की सलाह समेत भारत के संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत बाध्यकारी संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत जारी किया गया है।

सिद्धरमैया ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत, पूर्वानुमोदन व मंजूरी देने संबंधी 16 अगस्त के आदेश को चुनौती दी।

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