ताजा खबरें | नेहरू पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से माफी की मांग की

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राज्यों को आरक्षण को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए पत्र के बारे में ‘‘तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर’’ देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और माफी की मांग की।

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर राज्यों को आरक्षण को लेकर पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए पत्र के बारे में ‘‘तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर’’ देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और माफी की मांग की।

राज्यसभा में 'भारतीय संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' पर चर्चा में भाग लेते हुए, खरगे ने भाजपा नेताओं पर प्रधानमंत्री मोदी की 'भक्ति' में लिप्त होने का भी आरोप लगाया और कहा कि यह स्थिति देश को तानाशाही की ओर ले जा रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी के भाषण का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि 1947-1952 के बीच कोई निर्वाचित सरकार नहीं थी और कांग्रेस ने अवैध रूप से संविधान में संशोधन किया था।

खरगे ने कहा कि पहला संशोधन संविधान सभा के सदस्यों द्वारा किया गया था, जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल थे । उन्होंने कहा कि यह संशोधन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति को आरक्षण प्रदान करने, शिक्षा, रोजगार से संबंधित समस्याओं को दूर करने और जमींदारी प्रथा को खत्म करने के लिए किया गया था।

उन्होंने कहा कि इस संशोधन का दूसरा पहलू सांप्रदायिक दुष्प्रचार को रोकना था और सरदार पटेल ने तीन जुलाई 1950 को एक पत्र में नेहरू को सुझाव दिया था कि संविधान संशोधन ही इस समस्या का एकमात्र समाधान है।

खरगे ने कहा, ‘‘इसलिए नेहरू ने मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा। तथ्यों को तोड़-मरोड़कर नेहरू को बदनाम करने के बाद प्रधानमंत्री के भाषण में इसका उल्लेख किया गया है, जिसके लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए। यह मेरी मांग है। ’’

उन्होंने कहा ‘‘अगर आप देश के सामने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करते हैं और बदनाम करने की कोशिश करते हैं, तो आपको इस सदन और दूसरे सदन में और इस देश की जनता के सामने माफी मांगनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अतीत में जीते हैं, वर्तमान में नहीं। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि प्रधानमंत्री लोकतंत्र को मजबूत करने वाली वर्तमान उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते।

उन्होंने दावा किया कि आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के खिलाफ थे। उन्होंने कहा, ‘‘1949 में पूरा देश जानता था कि आरएसएस के नेता संविधान का विरोध करते थे, क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था। आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने 30 नवंबर, 1949 के संस्करण में इसके बारे में लिखा भी था।’’

खरगे ने कहा कि संविधान सभा की बहसों से यह स्पष्ट है कि आरएसएस के तत्कालीन नेता संविधान के खिलाफ थे। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग झंडे, अशोक चक्र और संविधान से नफरत करते थे, वे आज हमें संविधान की शिक्षा दे रहे हैं।’’

खरगे ने कहा कि जब कई शक्तिशाली देश सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का पालन नहीं कर रहे थे, तब भी भारत में महिलाओं और समाज के सभी वर्गों को कांग्रेस के शासनकाल में संविधान के माध्यम से मतदान का अधिकार दिया गया था। उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष के नेता तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए सूचनाओं को काट-छांट कर पेश करते हैं।

खरगे ने कहा, ‘‘जो लोग देश के लिए नहीं लड़े, वे स्वतंत्रता और संविधान का महत्व कैसे जानेंगे?’’

उन्होंने कहा कि भाजपा जुमले बोलकर देश के लोगों को बेवकूफ बना रही है। उन्होंने कहा कि लोग अभी भी दो करोड़ नौकरियों और किसानों की आय दोगुनी करने का इंतजार कर रहे हैं।

खरगे ने कहा कि भाजपा आरक्षण के खिलाफ है और इसीलिए पार्टी जाति जनगणना के खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस सरकार भाजपा से ज्यादा तेजी से महिला आरक्षण लागू करेगी।

खरगे ने मणिपुर का मुद्दा भी उठाया, जो पिछले डेढ़ साल से जातीय हिंसा से पीड़ित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हर जगह जाते हैं, लेकिन उनके पास संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करने का समय नहीं है।

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