बंद और सामाजिक दूरी कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए सबसे प्रभावी ‘सामाजिक दवा’: हर्षवर्धन

स्वास्थ्य मंत्री ने पत्रिका ‘द वीक’को दिए साक्षात्कार में यह बात कही। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि हो सकता है कि भारत में जितने लोगों की जांच की जानी चाहिए उसकी तुलना में कम लोगों की जांच हो रही हो। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की जांच पहले की जा रही है जिनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा है ।

नयी दिल्ली ,11अप्रैल केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि बंद और सामाजिक दूरी कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए वर्तमान में मौजूद सबसे ज्यादा कारगर ‘सामाजिक दवा’ है लेकिन भारत की जनसंख्या को देखते हुए संक्रमण के मामलों की जांच तेजी से बढ़ाने की जरूरत है।

स्वास्थ्य मंत्री ने पत्रिका ‘द वीक’को दिए साक्षात्कार में यह बात कही। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि हो सकता है कि भारत में जितने लोगों की जांच की जानी चाहिए उसकी तुलना में कम लोगों की जांच हो रही हो। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की जांच पहले की जा रही है जिनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा है ।

मंत्री ने कहा कि आठ अप्रैल तक भारत में 1,04,764 जाचें हो चुकी हैं और देश में वर्तमान में प्रतिदिन 20 हजार नमूनों की जांच करने की सुविधा है।

देश में वेंटिलेटरों की कमी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जिनमें संक्रमण कम हैं,15 प्रतिशत मामले गंभीर संक्रमण के हैं जिनमें ऑक्सीजन की जरूरत है और केवल पांच प्रतिशत मामले नाजुक श्रेणी में आते हैं जिन्हें वेंटिलेटर की जरूरत है।

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि संक्रमित लोगों के लिए फिलहाल 17,000 वेंटिलेटर मौजूद हैं और आने वाले हफ्तों में 48,538 वेंटिलेटर खरीदे जाएंगे।

उन्होंने कहा कि सब कुछ लोगों पर निर्भर करता है कि वे कितनी कड़ाई से नियमों का पालन करते हैं। उन्होंने आगाह किया कि किसी भी तरह की लापरवाही सारे प्रयासों को निष्फल कर देगी।

हर्ष वर्धन में कहा कि कि बंद और सामाजिक दूरी कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए वर्तमान में मौजूद सबसे ज्यादा कारगर ‘सामाजिक दवा’ है। उन्होंने कहा कि महामारी से पार पाने की लड़ाई में आने वाले कुछ दिन भारत के लिए बेहद नाजुक हैं।

केन्द्रीय मंत्री ने कोविड-19 संक्रमण की जांच बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को विस्तार से बताया और कहा कि भारत की जनसंख्या को देखते हुए जांच की बढ़ाए जाने की जरूरत है।

फिलहाल 136 सरकारी प्रयोगशालाएं और 59 एनएबीएल संबद्ध (नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज)निजी प्रयोगशालाएं जांच के काम में लगी हैं।

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