देश की खबरें | प्रधान न्यायाधीश का वकीलों से न्यायाधीशों की मदद करने, न्यायपालिका को स्वार्थी हमलों से बचाने का आह्वाहन

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण ने शुक्रवार को अधिवक्ताओं से न्यायाधीशों की मदद करने, न्यायपालिका को ‘‘स्वार्थी और चुनिंदा हमलों’’ से बचाने के साथ-साथ जरूरतमंदों की मदद करने का आह्वाहन किया ताकि जनता के मन में उनके प्रति विश्वास पैदा हो सके।

नयी दिल्ली, 26 नवंबर देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण ने शुक्रवार को अधिवक्ताओं से न्यायाधीशों की मदद करने, न्यायपालिका को ‘‘स्वार्थी और चुनिंदा हमलों’’ से बचाने के साथ-साथ जरूरतमंदों की मदद करने का आह्वाहन किया ताकि जनता के मन में उनके प्रति विश्वास पैदा हो सके।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण संविधान दिवस के अवसर पर उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित समारोह को संबाधित कर रहे थे।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं आप सभी से यह कहना चाहता हूं कि आप न्यायाधीशों और संस्था (न्यायपालिका) की मदद करें। अंतत: हम सभी एक ही बड़े परिवार का हिस्सा हैं। स्वार्थी और प्रेरित लोगों के कतिपय हमलों से संस्था की रक्षा करें। सही के पक्ष में और गलत के खिलाफ खड़े होने से ना डरें।’’

संविधान दिवस/राष्ट्रीय विधि दिवस के अवसर पर शुक्रवार और शनिवार को आयोजित होने वाले तमाम कार्यक्रमों में एससीबीए का यह आयोजन भी शामिल है। आज ही के दिन, 1949 में भारत की संविधान सभा ने संविधान को स्वीकार किया था, जिसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।

न्यायमूर्ति रमण ने ‘बहस और चर्चा’ के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि संविधान जब स्वीकार किया गया था उस वक्त से अभी तक अदालत के बाहर और भीतर हुई चर्चाओं के कारण अब यह बेहद समृद्ध और जटिल दस्तावेज है।

उन्होंने कहा, ‘‘निर्माताओं द्वारा रखी गई नींव पर बना आज का संविधान 1949 में स्वीकृत दस्तावेज के मुकाबले अब ज्यादा समृद्ध और जटिल है। यह अदालत के भीतर और बाहर हुई चर्चाओं का परिणाम है, जिनके कारण बहुत अच्छी और अद्भुत व्याख्याएं सामने आयी हैं।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘संभवत: भारतीय संविधान की सबसे महत्वपूर्ण खूबी यह तथ्य है कि वह चर्चा की रूपरेखा मुहैया कराता है। अंतत: इन्हीं चर्चाओं और बहस के माध्यम से ही देश प्रगति करना है, आगे बढ़ता है और लोगों के कल्याण के उच्चतर स्तर को हासिल करता है। इस प्रक्रिया में सबसे प्रत्यक्ष और सामने दिखने वाले लोग इस देश के अधिवक्ता और न्यायाधीश हैं।’’

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में महान अधिवक्ताओं मोहन दास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी), डॉक्टर भीम राव आंबडेकर, जवाहर लाल नेहरू, लाला लाजपत राय, सरदार पटेल और अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर के योगदान को याद किया और अधिवक्ताओं से ‘‘जरूरतमंदों की सक्रिय रूप से मदद करने का आह्वहन वकिया। गरीबों के मुकदमे भी लड़ें। जनता ने आपमें जो विश्वास जताया है, उसके पात्र बनें।’’

प्रधान न्यायाधीश ने समारोह में उपस्थित अधिवक्ताओं से कहा, ‘‘चूंकि लोगों को संविधान और कानून की व्यापक जानकारी है, यह आपकी जिम्मेदारी भी है कि आप समाज में निभाई जा रही अपनी भूमिका के बारे में शेष नागरिकों को शिक्षित करें। राष्ट्र का वर्तमान और भावी इतिहास आपके ही कंधों पर है।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को उन आदर्शों का पालन करने का संकल्प करना चाहिए जो संविधान के आधार हैं। ये आदर्श हैं: सभी लोगों के लिए स्वतंत्रता, समता और न्याय।

इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश ने वकालत के पेशे में 50 साल पूरे करने वाले पांच अधिवक्ताओं को सम्मानित करने के अलावा उन अधिक्ताओं को भी बधाई दी जिन्हें पुस्तकें लिखने और इनका प्रकाशन करने के लिए प्रमाणपत्र प्रदान किये गए हैं।

इस समारोह में उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह और अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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