2022 में हथियार कंपनियों का व्यापार घटाः सिप्री

2022 में दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों के व्यापार में कमी देखी गई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

2022 में दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों के व्यापार में कमी देखी गई है. यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी मांग का फायदा अभी नजर आना बाकी है.यूक्रेन में युद्ध और उसके बाद यूरोप सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में बढ़ी हथियारों की मांग के बावजूद 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों के रेवेन्यू में कमी देखी गई. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) द्वारा 4 दिसंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों का रेवेन्यू 3.5 फीसदी घट गया. बीते साल इन कंपनियों ने 597 अरब डॉलर का व्यापार किया.

फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था. उसके बाद कई देशों ने अपनी सुरक्षा बेहतर बनाने के नाम पर रक्षा मद में भारी खर्च का ऐलान किया था. इससे हथियार और अन्य सैन्य उपकरणों की मांग में बेतहाशा वृद्धि देखी गई थी.

सप्लाई चेन का असर

सिप्री की ताजा रिपोर्ट दिखाती है कि हथियार कंपनियां इस भारी मांग को पूरा करने के लिए तैयार नहीं हैं. सप्लाई चेन की मुश्किलों और उत्पादन क्षमता की चुनौतियों के चलते ये कंपनियां मांग के बराबर माल तैयार नहीं कर पा रही हैं.

सिप्री में हथियारों पर शोध करने वाली शाखा की निदेशक लूसी बेरडॉ-सुडरॉ कहती हैं, "बहुत सी हथियार कंपनियों को अत्यधिक-उग्रता वाले युद्ध के लिए उत्पादन करने में चुनौतियां आ रही हैं.”

हालांकि बेरडॉ-सुडरॉ यह भी कहती हैं कि हथियार कंपनियों को पहले से कहीं ज्यादा ऑर्डर मिले हैं. इनमें गोला-बारूद के ऑर्डर खासतौर पर बढ़े हैं. इसलिए आने वाले सालों में इन कंपनियों का व्यापार और मुनाफा अच्छा-खासा बढ़ने की संभावना है. 2022 में आई गिरावट के बावजूद 2015 की तुलना में इन कंपनियों का व्यापार कहीं ज्यादा बढ़ चुका है.

अमेरिकी कंपनियों की मुश्किलें

रेवेन्यू में कमी की सबसे बड़ी शिकार अमेरिका और रूस की कंपनियां हुईं. सिप्री के मुताबिक, अमेरिकी कंपनियों ने कुल 302 अरब डॉलर का व्यापार किया, जो 2021 के मुकाबले 7.9 फीसदी कम था.

अमेरिकी कंपनियों को सप्लाई चेन में खासा मुश्किलों का सामना करना पड़ा. सिप्री की रिपोर्ट में शामिल कंपनियों के कुल रेवेन्यू में से आधा तो अमेरिकी कंपनियों का ही है. दूसरे नंबर पर चीन की कंपनियां हैं, जिनकी कुल राजस्व में 18 फीसदी की हिस्सेदारी है.

अमेरिकी हथियार कंपनियां अभी अपने पुराने ऑर्डर पूरे करने में ही लगी हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़ी मांग से उनके व्यापार में कोई इजाफा नहीं देखा गया है. उदाहरण के लिए, जनरल डाइनामिक्स एकमात्र निजी अमेरिकी कंपनी है जो 155 मिलीमीटर तोप के गोले बनाती है. यूक्रेन युद्ध में इनका जमकर इस्तेमाल हो रहा है. फिर भी 2022 में उसके राजस्व में 5.6 फीसदी की कमी देखी गई.

मिसाइल और सैन्य विमान बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन के 150 अरब डॉलर के पुराने ऑर्डर अब तक पूरे नहीं हुए हैं. 2022 में उसके रेवेन्यू में 8.9 फीसदी की कमी दर्ज हुई. कंपनी के लंबे उत्पादन चक्र को देखते हुए यूक्रेन युद्ध के बाद की मांग से उसे ज्यादा इजाफे की उम्मीद भी नहीं थी.

एशियाई कंपनियों को फायदा

सिप्री का कहना है कि रूसी कंपनियों से बहुत कम सूचनाएं उपलब्ध हैं और 2022 की रिपोर्ट में सिर्फ दो रूसी कंपनियों को शामिल किया गया है. इन दोनों कंपनियों का राजस्व कुल 12 फीसदी गिरा है.

लेकिन जर्मन कंपनियों का व्यापार पहले से बढ़ा है. सिप्री की लिस्ट में शामिल चार जर्मन कंपनियों- राइनमेटाल, थाइजेनक्रुप, हेनशॉल्ट और डील का रेवेन्यू औसतन 1.1 फीसदी ज्यादा दर्ज किया गया. एयरबस जैसी बहुराष्ट्रीय यूरोपीय कंपनियों का रेवेन्यू 9.6 फीसदी बढ़कर 19.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया.

मध्य पूर्व और पूर्वी एशिया की कंपनियों को बढ़ी हुई मांग से काफी फायदा हुआ है. इस्राएली कंपनी राफाएल, तुर्की के बेकर और दक्षिण कोरिया की ह्यूंदै रोटेम ने रेवेन्यू में बढ़त दिखाई है. इसकी मुख्य वजह यूरोप से मिले ऑर्डर हैं.

ड्रोन बनाने वाली कंपनी बेकर के व्यापार में 94 फीसदी का इजाफा हुआ है. सिप्री के शोधकर्ता शाओ लियांग कहते हैं, "घरेलू मांग और स्थानीय सप्लायरों ने एशियाई कंपनियों को 2022 में सप्लाई चेन की मुश्किलों से बचा लिया. चीन, भारत, जापान और ताइवान में कंपनियों को सरकारों की सैन्य आधुनिकीकरण की कोशिशों का फायदा मिला.”

वीके/एसएम (डीपीए, एएफपी)

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