देश की खबरें | भोपाल गैस हादसा : अधिकारियों ने अपशिष्ट निस्तारण स्थल का निरीक्षण किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मध्य प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को धार जिले के पीथमपुर स्थित उस इकाई में पहुंचकर निरीक्षण किया, जहां भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित 337 टन विषाक्त अपशिष्ट को जलाया जाना है।

धार(मप्र), पांच जनवरी मध्य प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को धार जिले के पीथमपुर स्थित उस इकाई में पहुंचकर निरीक्षण किया, जहां भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित 337 टन विषाक्त अपशिष्ट को जलाया जाना है।

अधिकारियों का यह दौरा सोशल मीडिया पर फैली उस अफवाह के बाद हुआ जिसमें कहा गया था कि अपशिष्ट से भरा एक कंटेनर गायब हो गया है।

उप जिलाधिकारी (एसडीएम) प्रमोद सिंह गुर्जर ने बताया कि व्हाट्सऐप समूहों के माध्यम से सूचना फैलाई जा रही थी कि अपशिष्ट से भरा एक कंटेनर परिसर से गायब हो गया है, जिसके बाद निवासियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों के एक समूह ने उक्त स्थल का दौरा किया और पुष्टि की कि सभी कंटेनर वहां मौजूद हैं।

गुर्जर ने लोगों को ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील की।

पीथमपुर बचाओ समिति के संयोजक हेमंत हिरोले ने बताया कि वह उस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे जिसने मौके का निरीक्षण किया और पाया कि सभी कंटेनर सीलबंद थे और उनसे अपशिष्ट को बाहर नहीं निकाला गया था।

खतरनाक अपशिष्ट बृहस्पतिवार को रामकी एनवायरो कंपनी में पहुंच गया, जहां इसे जलाया जाएगा। स्थानीय वकील राजेश चौधरी ने कहा कि सभी 12 कंटेनर उसी स्थिति में हैं, जैसे उन्हें भोपाल से लाया गया था।

धार जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर औद्योगिक नगर पीथमपुर में शुक्रवार को एक स्थानीय संगठन के आह्वान पर बंद बुलाया गया और लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।

संगठन का कहना है कि इस तरह के अपशिष्ट निपटान से निवासियों, जलाशयों और पर्यावरण को नुकसान होगा।

शनिवार को 100-150 लोगों के एक समूह ने कंपनी के गेट पर पत्थरबाजी की थी, जिसके बाद अधिकारियों ने परिसर के चारों ओर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी। यह 12 जनवरी तक लागू रहेगी।

विरोध प्रदर्शन के बीच मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार को कहा कि वह उच्च न्यायालय से अनुरोध करेगी कि उसे अपशिष्ट के निपटान के लिए और समय दिया जाए।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने तीन दिसंबर को अपशिष्ट के निपटान में 40 साल की देरी के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई थी तथा इसे निपटान स्थल तक ले जाने के लिए चार सप्ताह की समय-सीमा निर्धारित की। अदालत में मामले की अगली सुनवाई छह जनवरी को होने की उम्मीद है।

भोपाल में 1984 में दो-तीन दिसंबर की दरमियानी रात को यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्टरी से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था जिससे कम से कम 5,479 लोगों की मौत हो गई और हजारों लोगों को गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा।

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