देश की खबरें | भाटलापेनुमरु: आंध्र प्रदेश के एक गांव को तिरंगा का डिजाइन तैयार करने वाले अपने सपूत पर गर्व

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भले ही इतिहास की किताबों में भाटलापेनुमरु के बारे में कुछ खास नहीं लिखा है, लेकिन आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हरे-भरे खेतों के बीच बसे इसी छोटे से गांव में पिंगली वेंकैया का जन्म हुआ था। वेंकैया का परिवार और उनके अन्य रिश्तेदार दशकों पहले गांव से अन्य स्थानों पर चले गए, लेकिन भाटलापेनुमरु अब भी गर्व और समर्पण के साथ अपने सपूत वेंकैया को याद करता है।

भाटलापेनुमरु (आंध्र प्रदेश), सात अगस्त भले ही इतिहास की किताबों में भाटलापेनुमरु के बारे में कुछ खास नहीं लिखा है, लेकिन आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हरे-भरे खेतों के बीच बसे इसी छोटे से गांव में पिंगली वेंकैया का जन्म हुआ था। वेंकैया का परिवार और उनके अन्य रिश्तेदार दशकों पहले गांव से अन्य स्थानों पर चले गए, लेकिन भाटलापेनुमरु अब भी गर्व और समर्पण के साथ अपने सपूत वेंकैया को याद करता है।

ग्रामीणों और कुछ परोपकारियों से प्राप्त धन की मदद से कुछ साल पहले यहां दो मंजिला एक इमारत का निर्माण किया गया, जिसका इस्तेमाल मुख्य रूप से सामुदायिक सभागार के रूप में किया जाता है। यह इमारत एकमात्र ऐसा ‘स्मारक’ है, जो राष्ट्रध्वज का डिजाइन तैयार करने वाले पिंगली वेंकैया की याद में बनाया गया है।

महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास वेंकैया की आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई, जो इस इमारत में आगंतुकों का स्वागत करती है।

वेंकैया महात्मा गांधी के अनुयायी थे और महात्मा गांधी ने ही वेंकैया द्वारा डिजाइन किए गए तिरंगे को 1921 में विजयवाड़ा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में स्वीकृति दी थी।

गांव में दो अगस्त को वेंकैया की 146वीं जयंती भव्य तरीके से मनाई गई थी। ग्रामीणों ने गांव में 300 फुट ऊंचा तिरंगा फहराया, जबकि जिला प्रशासन ने ध्वजारोहण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।

एक स्थानीय नागरिक कोटेश्वर राव ने कहा, ‘‘भटलापेनुमरु किसी भी अन्य गांव की तरह है। फर्क केवल इतना है कि इसे इसकी महान हस्ती के लिए जाना जाता है। इस गांव में करीब 3,500 लोग रहते हैं।’’

विजयवाड़ा के तत्कालीन सांसद लगदापति राजगोपाल ने कुछ साल पहले भाटलापेनुमरु को राष्ट्रीय मानचित्र पर एक गौरवमयी स्थान देने के लिए पिंगली वेंकैया की याद में एक तिरंगा दौड़ का आयोजन किया था।

राव ने कहा, ‘‘गांव की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का शायद यही एकमात्र प्रयास था लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ।’’

भाटलापेनुमरु से कुछ ही मील की दूरी पर कुचिपुड़ी गांव है, जिसने यहां से उत्पन्न हुई इसी नाम की भारतीय नृत्य शैली के कारण अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर अहम स्थान हासिल किया है।

देश स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव’’ मना रहा है और ‘‘लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना को जगाने और राष्ट्रध्वज को लेकर जागरुकता बढ़ाने’’ के लिए ‘हर घर तिरंगा’ अभियान चलाया जा रहा है, ऐसे में भाटलापेनुमरु के लोगों को वास्तव में गर्व महसूस हो रहा है।

गांव में रहने वाले 62 वर्षीय पी के प्रसाद ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे राष्ट्रध्वज ने हमारी जमीन पर आकार लिया। हमारे पूर्वज सौभाग्यशाली थे कि उन्हें उस महान व्यक्ति के साथ उस दौर में साथ रहने का अवसर मिला।’’

केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत पिंगली वेंकैया को श्रद्धांजलि देने के लिए 31 जुलाई को भाटलापेनुमरू का दौरा किया था। वह गांव का दौरा करने वाले पहले केंद्रीय मंत्री हैं।

किशन रेड्डी ने कृष्णा जिला प्रशासन को वेंकैया के सम्मान में गांव में एक विशाल राष्ट्रध्वज स्थापित करने का निर्देश दिया। उन्होंने वादा किया कि अगर राज्य सरकार जमीन मुहैया कराती है तो वह गांव में पिंगली वेंकैया स्मारक बनवाएंगे।

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