देश की खबरें | इलाज, चश्मे, मच्छरदानी, पुस्तकों की जरूरत के आधार पर नवलखा ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को एक माह के लिए घर में नजरबंद करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद इस मामले के कई आरोपियों द्वारा जेल में विभिन्न ‘आवश्यक’ सुविधाओं की मांग को लेकर दायर याचिकाएं सामने आने लगी हैं।

मुंबई, 10 नवंबर एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में जेल में बंद सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को एक माह के लिए घर में नजरबंद करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद इस मामले के कई आरोपियों द्वारा जेल में विभिन्न ‘आवश्यक’ सुविधाओं की मांग को लेकर दायर याचिकाएं सामने आने लगी हैं।

इस मामले के अभियुक्तों ने उपचार की मांग के अलावा जेल के अंदर किताबें, कुर्सियां, स्ट्रॉ, चश्मे और मच्छरदानी हासिल करने की अनुमति के लिए बार-बार अदालतों का दरवाजा खटखटाया है।

नवंबर 2020 में आरोपी स्टेन स्वामी ने यहां एक विशेष अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर नवी मुंबई की तलोजा जेल में स्ट्रॉ और सिपर की मांग की थी।

स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने इसे (स्ट्रॉ) उनसे जब्त कर लिया है, जबकि वह पार्किंसंस रोग से ग्रसित होने के कारण एक गिलास भी नहीं उठा पाते हैं।

हालांकि, एनआईए ने अपने जवाब में कहा था कि उसने स्वामी से कोई स्ट्रॉ और सिपर ग्लास जब्त नहीं किया है। बाद में, जेल अधिकारियों ने उन्हें एक स्ट्रॉ और सिपर प्रदान किया।

स्वामी की जुलाई 2021 में न्यायिक हिरासत में रहने के दौरान यहां एक निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।

दिसंबर 2020 में नवलखा के साथी सहबा हुसैन ने कहा था कि नवलखा के चश्मे जेल में चोरी हो गए थे और जब उनके परिवार ने उन्हें दो नये चश्मे भेजे, तो जेल अधिकारियों ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

उच्च न्यायालय ने बाद में जेल अधिकारियों की आलोचना की थी और कहा था कि ये सभी मानवीय सोच हैं।

जेल अधिकारियों ने बाद में नवलखा के परिवार द्वारा भेजे गए चश्मे स्वीकार कर लिये थे।

वकील-कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज ने 2020 में विशेष अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि उन्हें पुस्तकों तक पहुंच की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा था कि जब उनके लिए किताबें भेजी गईं, तो मुंबई की भायखला जेल अधीक्षक ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

विशेष अदालत ने उन्हें जेल के बाहर से प्रति माह पांच पुस्तक प्राप्त करने की अनुमति दे दी थी, लेकिन जेल अधीक्षक को निर्देश दिया था कि वह पुस्तकों की ‘‘सावधानीपूर्वक पड़ताल’’ करे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनमें कोई ‘‘आपत्तिजनक सामग्री’’ न हो।

इस साल अप्रैल में नवलखा के वकील युग चौधरी ने बम्बई उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि जेल अधिकारियों ने अंग्रेजी लेखक पीजी वुडहाउस की एक किताब उनके मुवक्किल को सौंपने से इनकार कर दिया है।

नवलखा की घर में नजरबंद रखने की मांग वाली याचिका पर उच्च न्यायालय में बहस के दौरान चौधरी ने कहा था कि जेल की स्थिति बहुत खराब है।

उच्च न्यायालय ने तब कहा था कि वुडहाउस की किताब को अस्वीकार करने की जेल अधिकारियों की कार्रवाई हास्यास्पद थी।

नवलखा और सह-आरोपी सागर गोरखे ने विशेष अदालत में अर्जी दाखिल कर जेल के अंदर मच्छरदानी लगाने की अनुमति मांगी थी। तलोजा जेल अधिकारियों ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इसका विरोध किया था।

अदालत ने नवलखा और गोरखे की दलीलों को स्वीकार नहीं किया, लेकिन जेल अधीक्षक को ‘‘मच्छरों के खिलाफ सभी आवश्यक सावधानी बरतने, कैदियों को मलहम और मच्छरों को भगाने वाली अगरबत्ती के इस्तेमाल की अनुमति देने ’’का निर्देश दिया था।

नवलखा ने विशेष अदालत में एक अन्य अर्जी दायर कर अपने परिजनों को फोन/वीडियो कॉल करने की अनुमति मांगी थी।

जेल अधिकारियों ने दलील दी थी कि यह सुविधा कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुई थी, लेकिन नियमित आधार पर विचाराधीन कैदियों को अनुमति नहीं दी जा सकती थी।

अदालत ने नवलखा की याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर की।

मामले के एक अन्य आरोपी सुरेंद्र गाडलिंग ने बीमारियों का हवाला देते हुए एक कुर्सी और मेज की मांग को लेकर अर्जी दायर की थी, जिसमें दावा किया गया था कि लंबे समय तक फर्श पर बैठने से उन्हें दर्द की शिकायत हो जाती है।

गाडलिंग ने कहा था कि उन्हें मेज और कुर्सी की जरूरत है, क्योंकि उन्हें काफी अध्ययन करना है। उन्होंने इसकी वजह बताई थी कि वह अपना मुकदमा खुद ही लड़ रहे हैं। जेल अधिकारियों ने सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए इस याचिका का भी विरोध किया था।

अदालत ने गाडलिंग की दलील से सहमति जताई थी और कहा था कि जिन आरोपों के खिलाफ उन्हें खुद का बचाव करना है, वे गंभीर हैं और संबंधित दस्तावेजों को एक साथ घंटों तक अध्ययन करने की आवश्यकता है। गाडलिंग को उनकी कीमत पर एक कुर्सी और मेज की अनुमति दी गयी थी।

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