देश की खबरें | आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पहले सुनवाई कर चुके न्यायाधीशों के समक्ष रखी जाए : न्यायालय

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नयी दिल्ली, 11 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा से जुड़े एक मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा दायर जमानत याचिका को ऐसी पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए जिसमें ऐसे न्यायाधीश हों जो पहले इस मामले की सुनवाई कर चुके हैं।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस याचिका को उचित पीठ के समक्ष रखने के लिए प्रधान न्यायाधीश से आदेश प्राप्त करे।

पीठ ने कहा कि न्यायिक मर्यादा के अनुसार इस मामले को ऐसी पीठ के समक्ष रखा जाए जिसमें कम से कम एक न्यायाधीश ऐसे हों जो पहले इस मामले पर गौर कर चुके हैं।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने 18 अप्रैल को मामले में आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द कर दिया था और उन्हें एक सप्ताह में आत्मसमर्पण करने को कहा था। पीठ ने यह भी कहा था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 'पीड़ितों' को "निष्पक्ष और प्रभावी सुनवाई" से वंचित कर दिया गया और अदालत ने "सबूतों को लेकर अदूरदर्शी दृष्टिकोण" अपनाया।

न्यायमूर्ति रमण अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 26 जुलाई को मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

सर्वोच्च अदालत ने छह सितंबर को आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब देने को कहा था।

मिश्रा ने अपनी जमानत याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। आशीष मिश्रा ने आरोपों का खंडन किया है।

पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया इलाके में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के गांव में एक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का किसानों ने विरोध किया था। इस दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मृत्यु हो गई थी।

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