ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल तक के बच्चों के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल प्रतिबंधित करने का फैसला किया है. इसके लिए एक बिल पेश किया जा रहा है.ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने गुरुवार को एक कानून प्रस्तावित किया, जिसके तहत बच्चों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल की न्यूनतम उम्र 16 साल रखी जाएगी. यह कानून सोशल मीडिया कंपनियों को इस उम्र सीमा को लागू करने के लिए जिम्मेदार बनाएगा.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीजी ने कहा, "सोशल मीडिया हमारे बच्चों को नुकसान पहुंचा रहा है, और अब इसे रोकने का समय आ गया है.” यह बिल 18 नवंबर से शुरू होने वाले संसदीय सत्र के दौरान पेश किया जाएगा. कानून पास होने के 12 महीने बाद से यह उम्र सीमा लागू हो जाएगी. इस दौरान, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे एक्स (पहले ट्विटर), टिकटॉक, इंस्टाग्राम और फेसबुक को यह सुनिश्चित करना होगा कि 16 साल से कम उम्र के ऑस्ट्रेलियाई बच्चे इनका इस्तेमाल न करें.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस साल एक आयु-सीमा तकनीक का परीक्षण शुरू किया था. देश के ई-सेफ्टी कमिश्नर इस परीक्षण के परिणामों के आधार पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को मार्गदर्शन देंगे कि वे कैसे इस नियम का पालन सुनिश्चित कर सकते हैं. संचार मंत्री मिशेल रॉलैंड ने बताया कि एक साल का समय देना इस कानून को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए है.
विपक्ष ने भी इस कानून का सैद्धांतिक समर्थन किया है. विपक्ष के सांसद पॉल फ्लेचर का कहना है कि प्लेटफॉर्म के पास पहले से तकनीक है, बस इसे लागू करने की इच्छा और खर्च उठाने की आवश्यकता है.
अल्बानीजी ने कहा कि उन्होंने कई माता-पिता और अभिभावकों से बात की है, जो बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कानून का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की होगी, न कि माता-पिता या बच्चों की.
विशेषज्ञों और अभिभावकों की राय
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जिम्मेदारी होने के बावजूद, माता-पिता या बच्चों को किसी प्रकार की सजा नहीं होगी. मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम की कंपनी) की सुरक्षा प्रमुख एंटीगोन डेविस ने कहा कि वे सरकार के किसी भी उम्र सीमा का सम्मान करेंगे. हालांकि, उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि ऐसे कानूनों के साथ बेहतर तकनीकी उपाय भी जरूरी हैं ताकि यह सिर्फ दिखावे का कदम न बन जाए.
डिजिटल इंडस्ट्री ग्रुप इंक (डीआईजीआई) ने इस उम्र सीमा को "21वीं सदी की चुनौतियों के लिए 20वीं सदी का हल” बताते हुए आलोचना की. डीआईजीआई की प्रबंध निदेशक सुनीता बोस ने कहा, "बैन के बजाय, उम्र के अनुसार सुरक्षित माहौल बनाना चाहिए और डिजिटल साक्षरता को बढ़ाना चाहिए.”
140 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उम्र सीमा को 'बहुत कठोर' बताया गया है. युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम करने वाली संस्था रीचआउट की निदेशक जैकी हेलन ने भी इस कानून पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि 73 फीसदी युवा सोशल मीडिया के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त करते हैं और बैन से यह सुविधा बाधित हो सकती है.
क्या कर रहे हैं अन्य देश
दुनिया भर में सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही बढ़ाने की मांग तेज हो रही है. कई देश बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं, जिसमें उन्हें जानकारी तक पहुंच देने और नुकसान से बचाने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की जा रही है. फ्रांस ने स्कूलों में 15 साल तक के बच्चों के लिए मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने का परीक्षण शुरू किया है, जो सफल होने पर पूरे देश में लागू किया जा सकता है. फ्रांस ने यह भी कानून बनाया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 15 साल से कम उम्र के बच्चों को अभिभावकों की अनुमति के बिना सेवा का उपयोग न करने दें.
अमेरिका ने बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए 1998 में "चिल्ड्रन ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट” लागू किया था. यह कानून 13 साल से कम उम्र के बच्चों से जानकारी जमा करने से पहले वेबसाइटों को अभिभावकों की अनुमति लेने का निर्देश देता है. 2000 में, "चिल्ड्रन इंटरनेट प्रोटेक्शन एक्ट” के तहत स्कूलों और पुस्तकालयों में बच्चों को अनुपयुक्त सामग्री से बचाने के लिए इंटरनेट फिल्टर लगाना अनिवार्य कर दिया गया. हालांकि कानूनों पर यह आलोचना हुई है कि यह बच्चों के बीच आयु के इस्तेमाल में धोखाधड़ी को बढ़ावा देते हैं और उनकी जानकारी और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकारों को सीमित करते हैं.
दक्षिण कोरिया ने 2011 में "शटडाउन कानून” लागू किया, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को आधी रात के बाद ऑनलाइन गेमिंग से प्रतिबंधित किया गया. लेकिन इसे 2021 में कानूनी चुनौती और आलोचनाओं के बाद हटा लिया गया.
यूरोप में सक्रियता
यूरोप भी बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. 2023 में लागू किए गए "डिजिटल सर्विसेज एक्ट” के तहत प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, टिकटॉक और स्नैपचैट को बच्चों को टारगेट करने वाले विज्ञापन दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बड़े प्लेटफॉर्म बच्चों के लिए हानिकारक सामग्री और एल्गोरिदम के प्रभाव को नियंत्रित करें.
कुछ यूरोपीय देशों, जैसे फ्रांस ने अपनी ओर से अतिरिक्त उम्र-सीमा के नियम लागू किए हैं. नॉर्वे ने भी हाल ही में एलान किया कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल की आयु सीमा को 13 से बढ़ाकर 15 वर्ष किया जाएगा.
विवेक कुमार (एएफपी)