नयी दिल्ली, 28 अप्रैल दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय राजधानी में हाल में हुए दंगों के सिलसिले में गिरफ्तारियां इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार की जाएंगी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने यह निर्देश दिया। पीठ ने केंद्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस भी जारी किये तथा उन्हें इस याचिका पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है। इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि दंगों से संबंधित मामलों में कोरोना वायरस प्रकोप के दौरान भी गिरफ्तारियां की जा रही हैं।
इस्लामिक विद्वानों के एक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद नामक संगठन ने यह याचिका दायर की है। याचिका के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि कोरोना वायरस के मद्देनजर जेलों में भीड़ कम करने की जरूरत है। इसके बाद भी पुलिस दिल्ली दंगों से संबंधित अपराध की जांच के बहाने लोगों को गिरफ्तार कर रही है।
अधिवक्ता मोहम्मद तैय्यब खान के माध्यम से दायर इस याचिका में यह दलील भी दी गयी है कि अगर इस पर ध्यान नही दिया गया दिल्ली पुलिस की कार्रवाई जेलों में भीड़ कम करने के शीर्ष अदालत के आदेश को "विफल" कर देगी।
केंद्र ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुयी सुनवाई के दौरान पीठ से कहा कि अब तक की गई सभी गिरफ्तारी और भविष्य में की जाने वाली गिरफ्तारी में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा।
पीठ ने यह भी कहा कि याचिका के अनुसार जिन लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है, वे नियमित जमानत मांगने सहित कानून के अनुसार उचित कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र हैं।
याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान "एकतरफा और मनमाने ढंग से" लोगों को उनके घरों से गिरफ्तार किया तथा उनके परिवारों को गिरफ्तारी का कारण भी नहीं बताया।
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