चेन्नई, 25 अगस्त मद्रास उच्च न्यायालय ने ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के अपदस्थ नेता ओ. पनीरसेल्वम (ओपीएस) को एक और झटका देते हुए शुक्रवार को उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने जुलाई 2022 में आयोजित पार्टी की महापरिषद की बैठक में लिये गये फैसले को चुनौती दी थी।
अन्नाद्रमुक महापरिषद ने ओपीएस तथा उनके साथियों को निष्कासित कर दिया था तथा ई. के. पलानीस्वामी को पार्टी का अंतरिम प्रमुख घोषित किया था।
पलानीस्वामी ने इसे ‘न्याय, धर्म और सत्य’ का फैसला बताया। पार्टी कार्यकर्ताओं ने पटाखे फोड़कर और मिठाइयां बांटकर अदालत के फैसले का जश्न मनाया।
पिछले एक साल से महापरिषद के प्रस्तावों के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे पनीरसेल्वम के लिए अदालत का यह फैसला एक और झटका साबित हुआ है।
मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने पिछले साल सितंबर में एकल न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें पार्टी से संबंधित मामलों में 23 जून तक यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया गया था।
पार्टी में पहले पनीरसेल्वम समन्वयक और पलानीस्वामी संयुक्त समन्वयक थे और वह निर्देश तत्कालीन मौजूदा दोहरी सत्ता संरचना को बनाये रखने के लिए था।
इस आदेश ने पलानीस्वामी की स्थिति को अन्नाद्रमुक के एकल, सर्वोच्च नेता के रूप में स्थापित किया था।
कुछ दिनों बाद उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ पनीरसेल्वम की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्हें पार्टी मुख्यालय की चाबियां पलानीस्वामी को सौंपने का निर्देश दिया गया था।
इसके अलावा, एकल न्यायाधीश ने पार्टी के 11 जुलाई के महापरिषद के प्रस्तावों के खिलाफ पनीरसेल्वम और उनके सहयोगियों की ओर से दायर याचिकाओं को 28 मार्च को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति के. कुमारेश बाबू ने कहा था कि अन्नाद्रमुक महापरिषद की 11 जुलाई 2022 को आयोजित बैठक में पनीरसेल्वम के निष्कासन और पलानीस्वामी को तत्कालीन अंतरिम प्रमुख नियुक्त किये जाने संबंधी प्रस्ताव प्रथम दृष्टया वैध थे।
न्यायमूर्ति आर. महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की खंडपीठ ने शुक्रवार को पनीरसेल्वम को पार्टी से निष्कासित करने के मामले में भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
पीठ ने पनीरसेल्वम और उनके सहयोगियों आर. वैथिलिंगम, पॉल मनोज पांडियन और जेसीडी प्रभाकर द्वारा एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। एकल पीठ के आदेश में अन्नाद्रमुक महापरिषद की ओर से 11 जुलाई 2022 को पारित प्रस्तावों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था।
सामान्य परिषद अन्नाद्रमुक की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है। एकल न्यायाधीश के आदेश के तुरंत बाद 28 मार्च 2023 को पलानीस्वामी को अन्नाद्रमुक का महासचिव चुना गया था। यह पार्टी का शीर्ष पद होता है।
खंडपीठ के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पलानीस्वामी ने कहा, ‘‘न्याय हमारे पक्ष में था, इसलिए अनुकूल फैसला आया।’’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह न्याय, धर्म और सत्य का फैसला है।’’
अन्नाद्रमुक के वकील आईएस इंबादुरई ने बताया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पनीरसेल्वम और अन्य की याचिका खारिज कर दी है।
उन्होंने बताया कि पीठ ने ‘पुष्टि की है कि अन्नाद्रमुक पलानीस्वामी के नेतृत्व में काम कर रही है।’ उन्होंने यह भी बताया कि अदालत ने यह भी स्वीकार किया है कि महापरिषद पार्टी की सर्वोच्च संस्था है और उसका निर्णय ही अंतिम है।
अन्नाद्रमुक तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी है और पलानीस्वामी वर्तमान में राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं।
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