देश की खबरें | आंध्र प्रदेश : 2022 में मंत्रिपरिषद में फेरबदल, बारिश का कहर और नए जिलों का गठन चर्चा में रहा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. आंध्र प्रदेश में साल 2022 में राज्य मंत्रिपरिषद में फेरबदल, काफी अंतराल के बाद प्रमुख राजनीतिक दल के सम्मेलन का आयोजन, अदालत की अवमानना के अलग-अलग मामलों में कम से कम दो आईएएस अधिकारियों को जेल भेजा जाना और कुछ महीनों तक भारी बारिश के कारण प्रमुख नदियों के उफान पर पहुंचने जैसे घटनाक्रम देखने को मिले।

अमरावती, 31 दिसंबर आंध्र प्रदेश में साल 2022 में राज्य मंत्रिपरिषद में फेरबदल, काफी अंतराल के बाद प्रमुख राजनीतिक दल के सम्मेलन का आयोजन, अदालत की अवमानना के अलग-अलग मामलों में कम से कम दो आईएएस अधिकारियों को जेल भेजा जाना और कुछ महीनों तक भारी बारिश के कारण प्रमुख नदियों के उफान पर पहुंचने जैसे घटनाक्रम देखने को मिले।

इस साल आंध्र प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों ने बेहतर वेतन की मांग को लेकर आंदोलन किया, जबकि दिसंबर में तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) की एक बैठक में भगदड़ मचने से आठ लोगों की मौत हो गई।

लगातार तीसरे वर्ष, राज्य की राजधानी को लेकर अनिश्चितता बनी रही। हालांकि, उच्च न्यायालय ने अमरावती को राजधानी बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया।

केंद्र सरकार और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य में “सकल वित्तीय कुप्रबंधन” की ओर इशारा किया।

आंध्र प्रदेश में साल की शुरुआत लाखों सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के सड़कों पर उतरकर वेतन संशोधन व पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग के साथ हुई।

हालांकि, सरकार वेतन में 23.29 प्रतिशत वृद्धि और सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष करने की पेशकश करके समझौता करने में कामयाब रही, लेकिन कर्मचारी पूरी तरह से शांत नहीं हुए, क्योंकि उनकी अंशदायी पेंशन योजना की मांग पूरी नहीं की गई।

आंध्र प्रदेश की आर्थिक बदहाली के कारण न केवल वित्तीय लाभ मिलना बंद हो गया, बल्कि सरकार ने कर्मचारियों के खातों से जीपीएफ का पैसा भी निकाल लिया, जिससे कर्मचारी व शिक्षक खासे नाराज हुए।

मार्च में, उच्च न्यायालय ने राज्य की तीन राजधानियां स्थापित करने के जगन मोहन रेड्डी सरकार के फैसले को रद्द करते हुए एक दूरगामी असर वाला निर्णय दिया और अमरावती को मास्टर प्लान के अनुरूप विकसित करने की हिदायत दी।

राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। कानूनी लड़ाई जारी रहने के कारण अमरावती को एकमात्र राजधानी बनाने पर फैसला अधर में लटक गया।

हालांकि, सरकार 13 वर्तमान जिलों के अलावा 13 नए जिले बनाने की दिशा में आगे बढ़ी।

शुरुआत में जिलों के पुनर्गठन को लेकर राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुछ विरोध-प्रदर्शन हुए, लेकिन कुल मिलाकर यह कवायद सफलतापूर्वक पूरी हो गई।

मुख्यमंत्री रेड्डी ने निर्धारित तारीख से पांच महीने बाद अप्रैल में राज्य मंत्रिपरिषद का पुनर्गठन किया। हालांकि, मुख्यमंत्री ने शुरू में घोषणा की थी कि 90 प्रतिशत मौजूदा मंत्रियों को हटा दिया जाएगा, लेकिन जातीय समीकरण को देखते हुए कम से कम 40 प्रतिशत मंत्रियों को बरकरार रखा गया।

हालांकि, मंत्रिमंडल में फेरबदल से वाईएसआर कांग्रेस में विद्रोह भड़क गया, जब नाराज वरिष्ठ नेताओं ने खुले तौर पर अपनी हताशा व्यक्त की, लेकिन रेड्डी ने विद्रोह को शांत कर दिया।

गर्मी के मौसम के दौरान राजनीतिक गर्माहट भी उत्पन्न हुई, जब प्रमुख विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) ने तीन साल के अंतराल के बाद महानाडु में अपना वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया।

महानाडु सम्मेलन को मिली अप्रत्याशित प्रतिक्रिया ने तेदेपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में नया जोश पैदा किया और पार्टी ने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस (वाईएसआरसी) को अपनी रणनीतियों को बदलने के लिए मजबूर कर दिया।

वाईएसआरसी ने शासन को लेकर लोगों में बढ़ते असंतोष को देखते हुए अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों को जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू कर घर-घर जाने का निर्देश दिया। लोगों से संपर्क बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री और वाईएसआरसी अध्यक्ष रेड्डी ने खुद जिलों का दौरा किया।

जुलाई और सितंबर के बीच भारी बारिश और गोदावरी, कृष्णा व पेन्नार नदियों में बाढ़ के कारण राज्य को काफी नुकसान उठाना पड़ा। गोदावरी तल में पोलावरम परियोजना के डूब क्षेत्रों के आसपास रहने वाले हजारों परिवार इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। कई हफ्तों तक दर्जनों गांव पानी में डूबे रहे।

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