जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह सीपीओ, सोयाबीन, पामोलीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. जाड़े में हल्के तेलों की बढ़ती मांग के बावजूद बेपड़ता कारोबार के कारण बीते सप्ताह देश के प्रमुख तेल-तिलहन बाजारों में सोयाबीन, सरसों, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन सहित अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर जाड़े में हल्के तेलों की बढ़ती मांग के बावजूद बेपड़ता कारोबार के कारण बीते सप्ताह देश के प्रमुख तेल-तिलहन बाजारों में सोयाबीन, सरसों, बिनौला, सीपीओ और पामोलीन सहित अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव हानि दर्शाते बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की पिछले साल के मुकाबले निर्यात मांग बेहद कम रह गई है, जो मांग है, वह स्थानीय स्तर पर ही है। इसके अलावा सोयाबीन संयंत्र को तेल पेराई करने में 5-7 रुपये प्रति किलो का नुकसान है, जिसकी वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाना एवं लूज के भाव में गिरावट आई। संयंत्र वालों को लागत के मुकाबले कम भाव पर बाजार में अपना माल बेचना पड़ रहा है और इस बेपड़ता कारोबार से तेल उद्योग, किसान और तेल आयातक परेशान है।

इन कारोबारियों को बाजार से तिलहन कहीं ऊंचे दाम से खरीदना पड़ रहा है, जबकि सस्ते आयातित तेलों के बाजार में दाम कम हैं, जिससे इन कारोबारियों को अपना माल सस्ते में बाजार में खपाना पड़ता है। यानी मिल वालों, संयंत्रों, आयातकों सभी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि मिल वालों को विदेशों से आयात करने पर सीपीओ मुनाफा जोड़कर 111 रुपये प्रति किलो का भाव पड़ता है, जबकि बाजार में इसका भाव 108 रुपये प्रति किलो है। पामोलीन के मामले में भी यही स्थिति है, जहां लागत के मुकाबले बाजार भाव 4-5 रुपये प्रति किलो अधिक है। ऐसी बेपड़ता कारोबार की स्थिति में आयातक बदहाल हैं।

उन्होंने बताया कि बेपड़ता कारोबार की वजह से कपास की 50 प्रतिशत तेल मिलें बंद हो चुकी हैं। बिनौला के दाने को ऊंचे भाव पर खरीदना पड़ता है जबकि बिनौला तेल और खल का भाव बाजार में सस्ता है।

सूत्रों के अनुसार तेल आयातक रोज की मंदा और तेजी से परेशान हैं। दूसरा वायदा कारोबार से उन्हें परेशानी है। इससे आयातकों द्वारा कारोबार के लिए बैंकों से लिया कर्ज के डूबने का खतरा बढ़ता जा रहा है जो बैंकों में अपनी ऋण लिमिट घुमाने के लिए बेपड़ता कारोबार का सहारा ले रहे हैं। अब बैंक वालों ने तेल कारोबारियों को नकारात्मक सूची में डाल रखा है और उन्हें ऋण देने में हिचकिचाहट दिखा रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि जब वायदा कारोबार में भाव नीचे चल ही रहे हैं तो इसका मतलब उपलब्धता पर्याप्त है तो फिर खाद्यतेलों का आयात क्यों करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा कि अपनी खाद्य तेल जरुरतों के लिए लगभग 65 प्रतिशत आयात पर निर्भर देश के व्यापारियों और आयातकों को बेपड़ता भाव पर तेलों की बिक्री क्यों करनी पड़ रही है? उन्होंने लागत से कम भाव पर बिक्री करने की बाध्यता पर गौर करने का सरकार से अनुरोध किया।

कुछ समय पूर्व स्टॉक लिमिट लागू होने की चर्चाओं के बीच व्यापारियों, तेल मिलों और किसानों ने सरसों के अपने सारे स्टॉक को खाली कर दिया था। इस वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों तेल तिलहन के भाव में गिरावट देखी गई। सरसों की उपलब्धता काफी कम हो गयी है और इसकी अगली परिपक्व फसल आने में अभी दो-ढाई महीने की देर है। इस बार किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिलने से सरसों की अगली पैदावार बंपर होने की संभावना है। इस बार इसकी बुवाई का रकबा काफी बढ़ा है।

सूत्रों ने कहा कि सीपीओ और पामोलीन के आयातकों को भी प्रति किलो तेल पर 3-4 रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगा होने और जाड़े के मौसम की मांग घटने से समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव भी गिरावट के साथ बंद हुए।

सूत्रों ने बताया कि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 300 रुपये की गिरावट के साथ 8,500-8,525 रुपये प्रति क्विंटल रह गया, जो पिछले सप्ताहांत 8,800-8,825 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 550 रुपये घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 16,600 रुपये क्विंटल रह गया। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत 75-75 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 2,465-2,590 रुपये और 2,645-2,755 रुपये प्रति टिन रह गईं।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 175-175 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,375-6,475 रुपये और 6,225-6,275 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

सोयाबीन की नई फसल की आवक बढ़ने की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 170 रुपये, 250 रुपये और 140 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 12,780 रुपये, 12,450 रुपये और 11,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

मूंगफली की नई फसल की राजस्थान और गुजरात की मंडियों में आवक बढ़ने के बाद मूंगफली डीओसी की मांग प्रभावित होने से मूंगफली दाना (तिलहन) में गिरावट आई। दूसरी ओर गिरावट के आम रुख के विपरीत, समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल की गुजरात की स्थानीय मांग के कारण मूंगफली गुजरात तेल की कीमत में 40 रुपये प्रति क्विन्टल का सुधार आया। समीक्षाधीन सप्ताह में सामान्य कारोबार के बीच मूंगफली का भाव 25 रुपये की मामूली गिरावट के साथ 5,675-5,760 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। दूसरी ओर स्थानीय मांग बढ़ने से मूंगफली तेल गुजरात का भाव 40 रुपये के सुधार के साथ 12,540 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड का भाव अपरिवर्तित रहा।

मांग प्रभावित होने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 230 रुपये की गिरावट के साथ 10,750 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। जबकि पामोलीन दिल्ली का भाव 380 रुपये की गिरावट के साथ 12,200 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन कांडला तेल का भाव 300 रुपये टूटकर 11,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।

बिनौला तेल का भाव 250 रुपये की गिरावट दर्शाता 11,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\