ताजा खबरें | लोकसभा चुनाव में औसत सफलता के बाद उद्धव ठाकरे के सामने अभी भी बड़ी चुनौती
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. पांच साल पहले तक उद्धव ठाकरे की छवि ऐसे नेता के तौर पर थी जो सिर्फ अपने पिता बाल ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अनिच्छा के साथ राजनीति में हैं, लेकिन अपने पुराने सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाकर उन्होंने न सिर्फ खुद को बल्कि अपनी पार्टी को भी नए सिरे से खड़ा किया।
मुंबई, पांच जून पांच साल पहले तक उद्धव ठाकरे की छवि ऐसे नेता के तौर पर थी जो सिर्फ अपने पिता बाल ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए अनिच्छा के साथ राजनीति में हैं, लेकिन अपने पुराने सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाकर उन्होंने न सिर्फ खुद को बल्कि अपनी पार्टी को भी नए सिरे से खड़ा किया।
उद्धव के नेतृत्व में शिवसेना एक आक्रामक हिंदुत्ववादी पार्टी से मुसलमानों, दलितों और गैर-महाराष्ट्रियन लोगों को लुभाने वाली एक उदारवादी पार्टी में बदल गई।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में अपने ढाई साल के कार्यकाल के दौरान उद्धव ठाकरे के आलोचकों ने उन्हें ‘‘घर से काम करने वाला’’ मुख्यमंत्री कहकर उनका मजाक उड़ाया, लेकिन वह कोविड-19 महामारी के दौरान सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर लाइव आकर लोगों से जुड़ने में सफल रहे।
हालांकि इसके बावजूद उन्हें जून 2022 में एकनाथ शिंदे की खिलाफत का सामना करना पड़ा और उन्होंने विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का प्रयास किए बिना ‘फेसबुक लाइव’ आकर अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी।
घर से बाहर नहीं निकलने के लिए आलोचकों के निशाने पर रहने वाले उद्धव ठाकरे ने लोकसभा चुनावों के दौरान पूरे राज्य का दौरा किया और उनकी रैलियों में भारी भीड़ उमड़ी।
लोकसभा चुनावों के लिए सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे को लेकर बनी सहमति में उनकी पार्टी को महाराष्ट्र की 48 में से 21 सीट की पेशकश हुई।
उद्धव ठाकरे की पार्टी मुंबई की चार में से तीन सीट जीतने में कामयाब रही, लेकिन रायगढ़, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, ठाणे और कल्याण सीट वह हार गई।
मुंबई में उन्होंने साबित कर दिया कि शिवसेना कार्यकर्ता अभी भी उनके साथ हैं, लेकिन कोंकण क्षेत्र के बाकी हिस्सों के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता।
हालांकि विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशल डवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) ने लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) भी ‘इंडिया’ का हिस्सा है। ठाकरे की पार्टी के लिए इससे बड़ी चुनौती इस वर्ष के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की होगी।
महाविकास आघाडी (एमवीए) ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीट में से 30 पर जीत हासिल की।
वर्ष 2019 में महाराष्ट्र में महज एक सीट जीतने वाली कांग्रेस ने इस बार 13 जीत हासिल की, जबकि शिवसेना (यूबीटी) को नौ और रांकापा (शप) को आठ सीट मिलीं। भाजपा और उसके सहयोगियों को 17 सीट ही मिल पाईं।
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