विदेश की खबरें | अफगान तालिबान ने टीटीपी आतंकवादियों के बढ़ते खतरे से निपटने में पाकिस्तान की मदद करने का वादा किया: रिपोर्ट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. पाकिस्तान की धरती पर हाल के दिनों में बढ़ते आतंकी हमलों के बीच अफगान तालिबान नेताओं ने अपनी सरजमीं पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों की मौजूदगी तथा उनकी पनाहगाहों को लेकर पड़ोसी देश की चिंताओं का निराकरण और सहयोग करने का वादा किया है।
इस्लामाबाद, 23 फरवरी पाकिस्तान की धरती पर हाल के दिनों में बढ़ते आतंकी हमलों के बीच अफगान तालिबान नेताओं ने अपनी सरजमीं पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकवादियों की मौजूदगी तथा उनकी पनाहगाहों को लेकर पड़ोसी देश की चिंताओं का निराकरण और सहयोग करने का वादा किया है।
पाकिस्तान ने देश भर में आतंकवादी हमलों में वृद्धि के बीच प्रतिबंधित संगठन टीटीपी पर लगाम लगाने के लिए अफगान तालिबानी नेताओं को चेतावनी दी है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुद्दे पर दोनों पड़ोसी देशों के बिगड़ते संबंधों के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को काबुल की एक-दिवसीय यात्रा की और इसी दौरान अफगान तालिबान नेताओं ने पाकिस्तान की चिंताओं के समाधान का वादा किया।
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने बताया कि इस यात्रा के दौरान टीटीपी और आईएस-खुरासान (आईएस-के) के बढ़ते खतरों पर चर्चा की गई और ‘‘दोनों पक्ष आतंकवाद के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सहयोग करने पर सहमत हुए।’’
प्रतिनिधिमंडल में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम, विदेश सचिव असद माजिद, अफगानिस्तान संबंधी विशेष दूत मुहम्मद सादिक और अफगानिस्तान में पाकिस्तान के प्रभारी दूत ओबैद निजामनी शामिल थे।
यह यात्रा टीटीपी के आतंकवादियों द्वारा कराची स्थित पुलिस मुख्यालय पर हमले करने के कुछ दिनों बाद हुई। इस हमले में तीन सुरक्षाकर्मियों सहित चार लोगों की जान चली गई थी। इससे पहले 30 जनवरी को पेशावर की मस्जिद में एक आत्मघाती बम विस्फोट में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के लिए भी टीटीपी को जिम्मेदार ठहराया गया था।
पिछले साल आतंकवादी समूह और सरकार के बीच शांति वार्ता के लड़खड़ाने के बाद से पाकिस्तान में टीटीपी की हिंसा में वृद्धि देखी गई है। टीटीपी ने औपचारिक रूप से गत वर्ष 28 नवंबर को संघर्ष विराम समाप्त कर दिया था और तब से टीटीपी ने 58 हमलों का दावा किया है, जिनमें 170 लोग मारे गए हैं।
इनमें से कई हमलों की योजना अफगानिस्तान स्थित टीटीपी नेतृत्व द्वारा बनाई और निर्देशित थी।
डॉन अखबार ने एक वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से लिखा है कि प्रतिनिधिमंडल ने तालिबान के अधिकारियों को एक स्पष्ट संदेश दिया कि अफगानिस्तान स्थित टीटीपी के आतंकियों पर लगाम लगाई जानी चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने अफगान तालिबान के उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर, रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद, गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी से मुलाकात की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगान नेताओं ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया था कि टीटीपी ने पाकिस्तान में हमलों के लिए उनकी (अफगानिस्तान की) धरती का इस्तेमाल किया, लेकिन अधिकारी के अनुसार, इस बार वे आश्चर्यजनक रूप से इस मुद्दे पर सहयोग करने के लिए सहमत हुए हैं।
अधिकारी ने आगे कहा, ‘‘शायद उन्हें स्थिति की गंभीरता का एहसास हो गया था।’’
दोनों पक्षों के बीच बाद की बैठकों में टीटीपी के खिलाफ सहयोग के विवरण पर विशेषज्ञ और तकनीकी स्तरों पर काम किया जाएगा।
दोनों पक्षों ने अपनी बैठकों में आतंकवाद और सीमा सुरक्षा सहयोग के व्यापक मुद्दों पर भी चर्चा की।
इस बीच, अफगान तालिबान ने कहा कि दोनों पक्षों ने आर्थिक सहयोग, क्षेत्रीय संपर्क, व्यापार और द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति पर चर्चा की।
मुल्ला बरादर ने ‘‘राजनीतिक और सुरक्षा चिंताओं का प्रभाव व्यापार या आर्थिक मामलों पर न पड़ने देने’’ का पाकिस्तान से आग्रह किया।
टीटीपी को अल-कायदा का करीबी माना जाता है और इसे पाकिस्तान भर में कई घातक हमलों के लिए दोषी ठहराया गया है। इन हमलों में 2009 में सेना मुख्यालय पर हमला, सैन्य ठिकानों पर हमले और 2008 में इस्लामाबाद में मैरियट होटल पर बम हमले शामिल हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)