गर्भपात पर फैसला महिलाओं के मानवाधिकार, लैंगिक समानता को ‘बड़ा झटका’: संरा मानवाधिकार प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने अमेरिका के उच्चतम न्यायालय द्वारा गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को पलटने से संबंधित फैसले को महिलाओं के मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए “बड़ा झटका” करार दिया है.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

संयुक्त राष्ट्र, 25 जून : संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने अमेरिका के उच्चतम न्यायालय (Supreme court) द्वारा गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को पलटने से संबंधित फैसले को महिलाओं के मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए “बड़ा झटका” करार दिया है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि गर्भपात तक पहुंच प्रतिबंधित करने से लोगों को इसकी मांग करने से नहीं रोका जा सकता, लेकिन यह इसे “अधिक घातक” बनाएगा. अमेरिकी के उच्चतम न्यायालय ने 50 साल पहले रो बनाम वेड मामले में दिए गए फैसले को पलटते हुए गर्भपात के लिए संवैधानिक संरक्षण को समाप्त कर दिया है. शुक्रवार को हुए इस घटनाक्रम से अमेरिका के लगभग आधे राज्यों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगने की संभावना है. फैसले के मुताबिक, गर्भपात की वैधता और इससे संबंधित सभी सवाल अब अमेरिका के अलग-अलग राज्यों पर निर्भर करेंगे, जिनमें से कुछ राज्यों ने गर्भपात पर तुरंत प्रतिबंध भी लगा दिया है.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाचेलेट ने शुक्रवार को कहा, ‘‘डॉब्स बनाम जैक्सन महिला स्वास्थ्य संगठन पर शुक्रवार को दिया गया अमेरिका के उच्चतम न्यायालय का फैसला रो बनाम वेड के माध्यम से अमेरिका में यौन-प्रजनन स्वास्थ्य के अधिकारों के संबंध में पांच दशकों के संरक्षण के बाद एक बड़े झटके के रूप में सामने आया है. यह महिलाओं के मानवाधिकारों और लैंगिक समानता के लिए एक बड़ा झटका है.’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षित, कानूनी और प्रभावी गर्भपात तक पहुंच अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून में मजबूती से निहित है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ट्वीट कर कहा, ‘‘हर साल 2.5 करोड़ से अधिक असुरक्षित गर्भपात होते हैं और 37,000 महिलाओं की मौत हो जाती है.’’ इसने चेतावनी दी कि साक्ष्यों से पता चलता है कि गर्भपात को प्रतिबंधित करने से होने वाले गर्भपात की संख्या कम नहीं होगी. हालांकि, प्रतिबंध के कारण महिलाओं और लड़कियों के असुरक्षित प्रक्रियाओं की ओर रूख करने की अधिक संभावना है.'' यह भी पढ़ें : जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात बहाल, मुगल रोड भूस्खलन के कारण बंद

डब्ल्यूएचओ ने कहा, “हर जगह महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सुरक्षित गर्भपात की प्रक्रिया आवश्यक है. गर्भपात संरक्षण तक पहुंच प्रतिबंधित करने से अधिकांश महिलाओं और लड़कियों को अवैध गर्भपात का खतरा होगा और इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा के मुद्दे सामने आएंगे.” महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता पर संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी संयुक्त राष्ट्र विमेन ने एक बयान में कहा कि प्रजनन का अधिकार महिलाओं के अधिकारों का अभिन्न अंग हैं. यह एक ऐसा तथ्य है जिसे अंतरराष्ट्रीय समझौतों के माध्यम से बरकरार रखा गया है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कानून में ये दिखाई देता है.

इसने कहा, ‘‘जब गर्भपात के लिए सुरक्षित और कानूनी पहुंच प्रतिबंधित कर दिया जाता है, तो महिलाएं अक्सर हानिकारक या विनाशकारी परिणामों के साथ कम-सुरक्षित तरीकों का सहारा लेने के लिए मजबूर हो जाती हैं. विशेष रूप से इनमें गरीबी या हाशिए पर मौजूद अल्पसंख्यक महिलाएं शामिल होती हैं. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने अपनी 2022 की विश्व जनसंख्या रिपोर्ट की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया भर में गर्भधारण के सभी मामलों में से लगभग आधे अनचाहे होते हैं. इनमें से 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं गर्भपात का सहारा ले सकती हैं.

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