2022-2023 में 2,921 दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं पाई गईं, 422 की पहचान नकली दवा के रूप में हुई: सरकार
सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच दवाओं के 89,729 नमूनों की जांच की गई जिनमें से 2,921 दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं पाई गईं, जबकि 422 की पहचान नकली दवा के रूप में हुई।
नयी दिल्ली, 19 दिसंबर: सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच दवाओं के 89,729 नमूनों की जांच की गई जिनमें से 2,921 दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं पाई गईं, जबकि 422 की पहचान नकली दवा के रूप में हुई. स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रकों से प्राप्त सूचना के अनुसार नकली/मिलावटी दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण के लिए 642 अभियोजन शुरू किए गए जबकि इसी अवधि के दौरान 262 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
इसमें राजस्थान के आंकड़े शामिल नहीं हैं. पवार ने पिछले साल का ब्योरा देते हुए कहा कि अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच कुल 88,844 नमूनों की जांच की गई जिनमें से 2,545 नमूनों को मानक गुणवत्ता के अनुकूल नहीं पाया गया जबकि 379 नमूने नकली पाए गए. उन्होंने कहा कि नकली/मिलावटी दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण के लिए 592 अभियोजन शुरू किए गए और इसी अवधि के दौरान 450 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
पवार ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि देश में दवा विनिर्माण परिसरों के नियामक अनुपालन का आकलन करने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने राज्य औषधि नियंत्रकों (एसडीसी) के साथ मिलकर 261 परिसरों का जोखिम आधारित निरीक्षण किया है.
उन्होंने बताया कि कंपनियों की पहचान जोखिम मानदंडों मसलन गुणवत्ता व शिकायतों आदि के आधार पर की गई है. मंत्री ने कहा कि निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों द्वारा औषधि नियम 1945 के प्रावधानों के अनुसार कारण बताओ नोटिस जारी करने, उत्पादन रोकने का आदेश देने, निलंबन, लाइसेंस/उत्पाद लाइसेंस रद्द करने आदि जैसी 200 से अधिक कार्रवाई की गई है.
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