फूमियो किशिदाः जापान के भारी उथल-पुथल वाले पीएम कार्यकाल का अंत
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने घोषणा की है कि वह सितंबर में अपने पद से इस्तीफा देंगे.
जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने घोषणा की है कि वह सितंबर में अपने पद से इस्तीफा देंगे. इस तरह राजनीतिक घोटालों से प्रभावित उनके तीन साल के कार्यकाल का अंत हो जाएगा.अमेरिका के करीबी सहयोगी रहे जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने घोषणा की है कि वह सितंबर में दोबारा चुनाव के लिए खड़े नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि वह सितंबर में होने वाले लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के अध्यक्ष पद के चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे.
इस पार्टी का नेता आमतौर पर जापान का प्रधानमंत्री भी होता है. एलडीपी दशकों से लगातार सत्ता में है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किशिदा ने कहा कि यह निर्णय "एलडीपी में बदलाव की पहली कड़ी है." जापानी समाचार एजेंसी क्योदो ने बुधवार को यह जानकारी दी.
किशिदा ने कहा कि उनकी पार्टी को "एकजुट होकर" नए नेता के नेतृत्व में जनता का विश्वास दोबारा जीतने के लिए काम करना चाहिए और घटती जनसंख्या दर, बुजुर्ग समाज और रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने जैसी चुनौतियों का सामना करना चाहिए.
किशिदा ने यह भी कहा कि वह अगले पार्टी प्रमुख और प्रधानमंत्री के रूप में कौन सबसे बेहतर विकल्प होगा, इस बारे में टिप्पणी नहीं करेंगे.
टोक्यो की सोफिया यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर कोइची नाकानो ने कहा कि किशिदा का फैसला अनुमान के मुताबिक ही है. उन्होंने बताया, "मुझे काफी समय से उम्मीद थी कि किशिदा फिर से चुनाव में नहीं उतरेंगे. वह एलडीपी के प्रधानमंत्री के औसत कार्यकाल से तीन साल अधिक समय तक सेवा कर चुके हैं. और वह ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि कह सकें, 'मैं विशेष हूं, मुझे अधिक समय चाहिए."
घट रही है लोकप्रियता
किशिदा की समर्थन रेटिंग हाल ही में 30 फीसदी से नीचे गिर गई, जिसके पीछे उनकी पार्टी में दान घोटाले का असर है. इस घोटाले में एलडीपी के कई सदस्यों पर धन जुटाने के लिए हुए आयोजनों से प्राप्त आय को सही तरीके से घोषित न करने का आरोप है.
जापानी राजनीति के विशेषज्ञ, टेम्पल यूनिवर्सिटी, टोक्यो में प्रोफेसर माइकल क्यूसेक ने कहा कि किशिदा लंबे समय से 'मरे हुए आदमी' की तरह थे. उन्होंने कहा, "एलडीपी के पूर्व यूनिफिकेशन चर्च से जुड़े विवादों के कारण जनता में किशिदा के प्रति असंतोष बढ़ता गया."
नेशनल ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज में प्रोफेसर मिकीताका मसुयामा के मुताबिक किशिदा की लोकप्रियता घट रही थी. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री का समर्थन हाल ही में कमजोर हो गया है, और उनके पद छोड़ने की आवाजें तेज हो गई हैं. एलडीपी का नेता प्रधानमंत्री के बराबर होता है. किसी भी स्थिति में उसे पार्टी को एकजुट करने और सरकार को संभालने में सक्षम होना चाहिए."
बड़े फैसलों वाला कार्यकाल
2021 से प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत किशिदा के नेतृत्व में, जापान ने अपनी सुरक्षा रणनीति में बड़े बदलाव किए. इनका उद्देश्य चीन की शक्ति बढ़ाने की महत्वाकांक्षाओं और उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार और मिसाइल कार्यक्रमों से निपटना था. इन दोनों को ही जापान एक खतरे के रूप में देखता है. साथ ही उन्होंने अमेरिका से सैन्य सहयोग को नए मुकाम पर पहुंचाया.
2023 के अंत में उन्होंने सैन्य खर्च को 17 प्रतिशत बढ़ाकर 7900 अरब येन (53 अरब डॉलर) कर दिया और 2027 तक कुल 43,000 अरब येन रक्षा पर खर्च करने का निर्णय लिया. लेकिन किशिदा के कार्यकाल के दौरान ही जापान की अर्थव्यवस्था ने काफी कमजोरी भी देखी. इस दौरान येन और शेयर बाजार में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज हुई और जापान दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का तमगा भी खो बैठा.
नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीईओ ताकाहिदे किउची कहते हैं, "किशिदा प्रशासन ने पहले बाजार में चिंताओं को बढ़ाया, लेकिन बाद में उसने 'एसेट इनकम डबलिंग प्लान' जैसी विस्तारवादी नीतियों को अपनाया."
वीके/सीके (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)