इस छोटे से पौधे का जीनोम है पृथ्वी पर सबसे बड़ा

सबसे बड़ा जीनोम सबसे बड़े जीव का नहीं होता.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

सबसे बड़ा जीनोम सबसे बड़े जीव का नहीं होता. पृथ्वी के सबसे बड़े जीव ब्लू व्हेल और इंसान का जीनोम भी इतना विशाल नहीं है, जितना इस छोटे से पौधे का है.पृथ्वी के सबसे बड़े जीव ब्लू व्हेल, जमीन पर घूमने वाले सबसे बड़े जीव अफ्रीकी हाथी या फिर सबसे बड़े पेड़ रेडवुड ट्री का जीनोम भी इतना बड़ा नहीं होता, जितना फ्रांस के कैलेडोनिया में पाए जाने वाले इस छोटे से पौधे का होता है.

जीनोम किसी जीव के डीएनए या आरएनए का पूरा सेट होता है, जिसमें सभी जीन और गैर-कोडिंग अनुक्रम शामिल होते हैं. इसमें जीव की सभी अनुवांशिक जानकारियां जमा होती हैं.

वैज्ञानिकों ने पाया है कि दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित न्यू कैलेडोनिया द्वीप पर उगने वाले इस छोटे से पौधे का जीनोम पृथ्वी पर सबसे विशाल है. नए शोध में पाया गया है कि मेसिपटेरिस ओब्लांसियोलाटा नाम के इस पौधे का जीनोम इंसांन के जीनोम से 50 गुना ज्यादा बड़ा है.

अब तक सबसे बड़ा जीनोम जापान के एक पौधे पैरिस जापोनिका का आंका गया था. लेकिन मेसिपटेरिस का जीनोम उससे भी सात फीसदी ज्यादा बड़ा है.

ताज महल से ऊंचा जीनोम

जीनोम का आकार मापने की ईकाई डीएनए के जोड़ों यानी गुणसूत्रों की लंबाई होती है. अगर इस पौधे के डीएनए की हर कोशिका में पाए जाने वाले जीनोम का धागा बनाया जाए तो उसकी लंबाई करीब 350 फुट यानी अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी या भारत के ताज महल से भी ज्यादा होगी. इसकी तुलना में इंसान के जीनोम की लंबाई मुश्किल से साढ़े छह फुट होती है.

मेसिपटेरिस न्यू कैलेडोनिया में आमतौर पर जमीन पर या किसी गिरे हुए पेड़ पर उगता है. इसके अलावा यह इसके पड़ोसी द्वीपों जैसे वनुआतु पर भी पाया जाता है.

यह शोधपत्र आईसाइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इसके शोधकर्ताओं में से एक बोटैनिकल इंस्टिट्यूट ऑफ बार्सिलोना के जीवविज्ञानी खाउमे पेलिसर बताते हैं, "हम इतना बता सकते हैं कि यह पौधा कोई बहुत शानदार नजर नहीं आता. यह बहुत छोटा सा पौधा है. इसकी ऊंचाई 10-15 सेंटीमीटर होती है और इसे बड़ी आसानी से नजरअंदाज किया जा सकता है.”

इस शोध के लिए मेसिपटेरिस के नमूने पिछले साल न्यू कैलेडोनिया के ग्रैंड टेरे द्वीप से जमा किए गए थे. इसमें छोटी छोटी पत्तियां होती हैं लेकिन असल में वे पत्तियां नहीं बल्कि सपाट डंठल हैं. यह पौधा अपनी मूल प्रजाति के पौधे से करीब 35 करोड़ साल पहले, यानी डायनासोर के विलुप्त होने से भी लगभग 12 करोड़ साल पहले अलग होकर स्वतंत्र हो गया था.

बड़ा जीनोम कितना अच्छा?

ऐसा नहीं है कि बड़ा जीनोम होने का कोई फायदा होता है. पेलिसर कहते हैं, "हमें लगता है कि मेसिपटेरिस का विशाल जीनोम विकास में होने वाले किसी फायदे के लिए नहीं है. हालांकि ऐसा क्यों है, यह हमें अभी नहीं पता है, क्योंकि हम इसका निष्क्रिय डीएनए अलग कर पाने में सफल नहीं हो पाए हैं.”

जीनोम के आकार के कई तरह के फायदे या नुकसान होते हैं. मसलन, अगर जीनोम बड़ा होगा तो उसके डीएनए को बढ़ने या मरम्मत के लिए ज्यादा संसाधनों की जरूरत होगी. डीएनए का बढ़ना एक अहम प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल कोशिकाएं प्रोटीन बनाने के लिए करती हैं. यह जीव के काम करते रहने के लिए जरूरी होता है.

एक अन्य शोधकर्ता ओरियाने हिडाल्गो बताती हैं, " (संसाधनों की) ज्यादा मांग से पौधे की ऊर्जा और पोषक तत्वों पर दबाव बढ़ सकता है, जो असल में उसके विकास, पुनरोत्पादन और आपातकालीन परिस्थितियों से लड़ने में काम आते.”

वैज्ञानिकों ने अब तक लगभग 20 हजार जीवित ईकाइयों के जीनोम का ही आकलन किया है. उन्होंने पाया है कि जीनोम का बड़ा आकार अपवाद ही होता है.

वीके/एए (रॉयटर्स)

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