निकोटीन से ज्यादा घातक हो सकते हैं उसके विकल्पः एफडीए

विशेषज्ञों के मुताबिक निकोटीन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे वेप या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में निकोटीन के विकल्प के रूप में प्रयोग होने वाले रसायन कहीं ज्यादा घातक हो सकते हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

विशेषज्ञों के मुताबिक निकोटीन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे वेप या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में निकोटीन के विकल्प के रूप में प्रयोग होने वाले रसायन कहीं ज्यादा घातक हो सकते हैं.इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट और वेप को सिगरेट के विकल्प के तौर पर दुनिया के कई देशों में बेचा जा रहा है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सिगरेट के निकोटीन के विकल्प के रूप में इन वेप्स में जो केमिकल इस्तेमाल होते हैं वे स्वास्थ्य के लिए कहीं ज्यादा घातक हो सकते हैं और उनकी लत लगने का खतरा सिगरेट से भी ज्यादा है.

अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि हालांकि इस बारे में आंकड़े अभी अधूरे हैं लेकिन 6-मिथाइल जैसे रसायन निकोटीन से ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.

वेप्स या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेटों में वैसे केमिकल प्रयोग किए जाते हैं जिनका रासायनिक ढांचा निकोटीन से मिलता-जुलता है. अमेरिका और यूरोप के कई देशों में ये केमिकल उन नियम-कानूनों के दायरे में नहीं आते, जिनके जरिए तंबाकू या निकोटीन को नियंत्रित किया जा रहा है.

इसका मतलब है कि उत्पादक सिंथेटिक निकोटीन जैसे कि 6-मिथाइल को अमेरिका व अन्य देशों में बेच सकते हैं और इसके लिए उन्हें एफडीए आदि से इजाजत भी नहीं लेनी पड़ती. इजाजत लेने की प्रक्रिया बेहद सख्त और लंबी होती है और अक्सर इजाजत नहीं मिल पाती.

सिगरेट कंपनियां परेशान

वेपिंग दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है. बड़ी तंबाकू कंपनियां जैसे आल्ट्रिया ग्रुप और ब्रिटिश अमेरिकन टबैको आदि को वेपिंग के कारण भारी नुकसान हुआ है. बहुत से देशों में तो निकोटीन वाले वेप्स अवैध रूप से बिक रहे हैं, जिसके कारण पारंपरिक तंबाकू और सिगरेट की बिक्री घट रही है.

मार्लबरो सिगरेट बनाने वाली कंपनी आल्ट्रिया ने एफडीए को एक पत्र लिखा है जिसमें 6-मिथाइल निकोटीन और धूम्रपान के अन्य वैकल्पिक उत्पादों की वृद्धि के बारे चेताया गया है. इस पत्र को कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया है.

पत्र में कंपनी ने कहा है कि ये रसायन नियम आधारित व्यवस्था के लिए "नया खतरा” हैं. कंपनी ने कहा, "निकोटीन जैसा असर करने वाले रसायनों के इस्तेमाल और वृद्धि पर अगर कोई नियंत्रण नहीं होगा तो इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को खतरा होगा और एफडीए के अधिकारों की भी अवमानना होगी.”

एफडीए ने इस पत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है क्योंकि वह कंपनियों के साथ उसके संवाद पर टिप्पणी नहीं करती. लेकिन 6-मिथाइल और निकोटीन के अन्य विकल्पों पर एक सवाल के जवाब में उसने कहा, "वैसे तो इस बारे में ज्यादा शोध की जरूरत है लेकिन आ रहे आंकड़े दिखाते हैं कि निकोटीन के विकल्प उससे ज्यादा मजबूत हो सकते हैं. इनकी लत विकसित हो रहे मस्तिष्क में बदलाव कर सकती है और युवाओं के ध्यान, सीखने की क्षमता और यादाश्त पर स्थायी प्रभाव डाल सकती है.” बहुत से देशों में वेपिंग को सिगरेट छोड़ने के लिए उपयोगी उत्पाद के रूप में बेचा जा रहा है.

क्या है 6-मिथाइल?

बहुत से वेप्स में डाला गया निकोटीन तंबाकू के पत्तों से ही निकाला जाता है लेकिन 6-मिथाइल को प्रयोगशाला में केमिकल्स से बनाया जाता है. एफडीए का कहना है कि ऐसे सिंथेटिक यौगिकों और युवाओं को इन उत्पादों से बचाने के बारे में विचार किया जा रहा है.

अमेरिका में तंबाकू ही नहीं, दवाओं, खाने, कॉस्मेटिक्स और अन्य उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी एफडीए की ही है लेकिन उसके फैसलों का असर दुनियाभर में होता है.

रॉयटर्स के एक सवाल के जवाब में एफडीए ने कहा, "एफडीए आंकड़ों के आधार पर फैसला करती है. हम उपलब्ध डेटा की समीक्षा कर रहे हैं ताकि इस बारे में जरूरी कदम उठाए जा सकें.”

फिलहाल 6-मिथाइल निकोटीन पर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुआ है इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी निष्कर्ष पर पहुंचने लायक जानकारी उपलब्ध नहीं है.

वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी में फार्माकोलॉजी और टोक्सिकोलॉजी विभाग में प्रोफेसर इमाद दमाज कहते हैं कि 6-मिथाइल पर उनका शोध दिखाता है कि यह निकोटीन से ज्यादा ताकतवर है लेकिन इसका इंसान पर क्या असर होगा, यह जानने के लिए और ज्यादा विस्तृत परीक्षणओं की जरूरत है.

वीके/एए (रॉयटर्स)

Share Now

\