Ambedkar Jayanti 2022 Greetings: हैप्पी आंबेडकर जयंती! दोस्तों-रिश्तेदारों संग शेयर करें ये WhatsApp Stickers, GIF Images और HD Wallpapers
समाज में फैले छूआछूत और जातिवाद के खिलाफ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने न सिर्फ आवाज उठाई, बल्कि आंदोलन की मशाल भी जलाई और दलित समाज के उत्थान के लिए उन्हें जागरूक करने में अपना अहम योगदान दिया. इस बेहद खास अवसर पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इन शानदार ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ इमेजेस और एचडी इमेजेस को शेयर कर हैप्पी आंबेडकर जयंती कह सकते हैं.
Ambedkar Jayanti 2021 Greetings in Hindi: आज यानी 14 अप्रैल 2022 को भारतीय संविधान के रचयिता (Father of Indian Constitution), महान राजनेता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव आंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) जी की 131वीं जयंती मनाई जा रही है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के महू में 14 अप्रैल 1891 को जन्में बाबासाहेब आंबेडकर (Babasaheb Ambedkar) को बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने विषम परिस्थितियों का डंटकर सामना किया और कभी हार नहीं मानी. साल 1907 में मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया और इस कॉलेज में एडमिशन लेने वाले वो पहले दलित छात्र थे. छूआछूत, जातिवाद और भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों का सामना करते हुए उन्होंने साल 1912 में बॉम्ब यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में स्नातक की डिग्री हासिल की.
समाज में फैले छूआछूत और जातिवाद के खिलाफ डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने न सिर्फ आवाज उठाई, बल्कि आंदोलन की मशाल भी जलाई और दलित समाज के उत्थान के लिए उन्हें जागरूक करने में अपना अहम योगदान दिया. इस बेहद खास अवसर पर आप अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इन शानदार ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ इमेजेस और एचडी इमेजेस को शेयर कर हैप्पी आंबेडकर जयंती कह सकते हैं.
1- डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जयंती
2- आंबेडकर जयंती 2022
3- आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं
4- आंबेडकर जयंती की हार्दिक बधाई
5- हैप्पी आंबेडकर जयंती
गौरतलब है कि अंग्रेजों की गुलामी से देश को जब आजादी मिली तो डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी, इसलिए उन्हें संविधान का रचयिता कहा जाता है. इसके अलावा डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री रह चुके हैं. समाज में दलितों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को अपने समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म को अपना लिया था. इसके कुछ समय बाद ही 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया था.