
पश्चिम बंगाल से सबसे बड़े शिक्षक भर्ती घोटाले में कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर से साफ है कि कभी शिक्षा के गढ़ के तौर पर मशहूर रहे इस राज्य में शिक्षा व्यवस्था की जड़ों में घुन लग चुकी है.सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीते एक साल से उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच झूल रहे पश्चिम बंगाल के करीब 26 हजार शिक्षकों को भारी झटका लगा है. वैसे, बेरोजगार तो वो बीते साल अप्रैल में उसी समय हो गए थे जब कलकत्ता हाईकोर्ट ने घोटाले के आरोप में इन नियुक्तियों को रद्द कर दिया था. लेकिन ममता बनर्जी सरकार ने इस फैसले को तुरंत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आने तक तमाम शिक्षकों की नौकरी जारी रखने और नियमित रूप से वेतन का भुगतान का भरोसा भी दिया था. लेकिन अब उसके ठीक एक साल बाद आए ताजा फैसले ने इन शिक्षकों की उम्मीदों और सपनों पर पानी फेर दिया है.
अदालत ने अपने फैसले में वर्ष 2016 की भर्ती परीक्षा के पूरे पैनल को रद्द कर तीन महीने के भीतर नए सिरे से नियुक्ति की कवायद शुरू करने को कहा है. उसके बाद ममता बनर्जी ने कहा है कि सरकार तीन महीने के भीतर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर लेगी. लेकिन दूसरी ओर, विपक्षी राजनीतिक दलों ने एक बार फिर इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है.
बिना छात्रों के ही चल रहे हैं पश्चिम बंगाल के हजारों स्कूल
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई फरवरी में ही पूरी हो गई थी. लेकिन तब अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था. इन उम्मीदवारों के लिए राहत की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की तरह उनसे वेतन की रकम सूद के साथ लौटाने को नहीं कहा है. यह रकम सिर्फ उनको ही लौटानी होगी जिन्होंने अपनी उत्तर पुस्तिका में कुछ भी नहीं लिखा था.
2016 से चल रहा है मामला
वर्ष 2016 में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से उस साल शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की बहाली के लिए एक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी. लेकिन परीक्षा के तुरंत बाद उस पर भ्रष्टाचार, घोटाले और भाई-भतीजावाद होने के आरोप लगने लगे थे. उसके बाद हाईकोर्ट में इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थी.
अदालत ने शुरुआती दौर में इन पर सुनवाई के बाद इस कथित घोटाले की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था. उसके अलावा सीबीआई को भी इसकी जांच का जिम्मा सौंपा गया. इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार किया था. उनकी एक महिला मित्र के विभिन्न ठिकानों से करीब सौ करोड़ रुपए बरामद किए गए थे. जांच एजेंसी का दावा था कि यह रकम शिक्षक भर्ती घोटाले से संबंधित है.
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में कई जटिलताएं थी. उनमें सबसे अहम दिक्कत थी भर्ती परीक्षा के दौरान नौकरी पाने वाले लोगों में से योग्य और