Uttarkashi Tunnel Rescue: उम्मीद का एक और दिन, अब मैनुअली होगी बची हुई 9 मीटर ड्रिलिंग
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूर शुक्रवार को भी बाहर नहीं निकाले जा सके. उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का काम ऑगर ड्रिलिंग मशीन की खराबी के बाद शुक्रवार को बार फिर रुक गया.
देहरादून: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूर शुक्रवार को भी बाहर नहीं निकाले जा सके. उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को निकालने का काम ऑगर ड्रिलिंग मशीन की खराबी के बाद शुक्रवार को बार फिर रुक गया. सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जान जोखिम में है. रेस्क्यू की राह में कई तरह के अवरोध आ रहे हैं. शनिवार को रेस्कयू फिर से शुरू होगा, उम्मीद है कि आज सभी श्रमिक बाहर आ जाएंगे. एक अधिकारी ने बताया कि सिलक्यारा टनल में फंसे 41 लोगों को निकालने के लिए अब मैनुअली ड्रिलिंग की जाएगी. यानी हाथ से ड्रिलिंग करके मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा. मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन में अब ड्रोन ने दिखाई राह, सुरंग के अंदर के हालात पर यूं रखी जा रही नजर.
ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा. मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है. रेस्क्यू का आज 14वां दिन है. दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर निकले की उम्मीद लगाए हैं. सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने की पूरी कोशिश हो रही है. उम्मीद है कि आज इन श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा.
12 नवंबर से फंसे हैं मजदूर
चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे श्रमिक मलबे के दूसरी ओर फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं.
शुक्रवार को कुछ परेशानियों के कारण ड्रिलिंग रोक दी गई थी. एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि मशीन के आगे बार-बार लोहे की चीजें आने से कार्य प्रभावित हो रहा है. अभी 47 मीटर तक ड्रिलिंग हुई है. करीब 9 मीटर तक और ड्रिलिंग बची है. जानकारी के मुताबिक बची हुई 9 मीटर ड्रिलिंग मैनुअली होगी.
मजदूरों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए सुरंग के पास ही एक अस्थाई हॉस्पिटल भी बनाया गया है. जहां पर कई डॉक्टर और स्टाफ की टीम तैनात है. इसके साथ ही दो हेलीकॉप्टर मौके पर खड़े किए गए हैं. किसी भी हालत में इन हेलीकॉप्टर के माध्यम से इन सभी मजदूरों को ऋषिकेश एम्स या फिर देहरादून के मैक्स अस्पताल भेजा जा सकता है.